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सच्चिदानन्द भारद्वाज

@0109omjigmailc1

व्यवसायी🇮🇳

ID:774086540951773184

calendar_today09-09-2016 03:26:28

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Bhaishri Rameshbhai Oza(@PPBhaishri) 's Twitter Profile Photo

बंदउँ बालरूप सोइ रामू।
सब सिधि सुलभ जपत जिसु नामू॥
मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी॥

मैं उन्हीं श्री रामचन्द्रजी के बाल रूप की वंदना करता हूँ, जिनका नाम जपने से सब सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती हैं। मंगल के धाम, अमंगल के हरने वाले और श्री दशरथजी के आँगन में…

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Swami Avdheshanand(@AvdheshanandG) 's Twitter Profile Photo

अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्त्वज्ञानार्थदर्शनम्।
एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोन्यथा।।

आध्यात्मिक सामर्थ्य और दिव्य संस्कारों द्वारा उपार्जित आत्मबल विषम परिस्थितियों में सदैव सहायक और आह्लाद प्रदाता है। अध्यात्म हमारे स्वभाव की यात्रा है, जिसका फलादेश है-अज्ञान जनित विकारों से…

अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं तत्त्वज्ञानार्थदर्शनम्। एतज्ज्ञानमिति प्रोक्तमज्ञानं यदतोन्यथा।। आध्यात्मिक सामर्थ्य और दिव्य संस्कारों द्वारा उपार्जित आत्मबल विषम परिस्थितियों में सदैव सहायक और आह्लाद प्रदाता है। अध्यात्म हमारे स्वभाव की यात्रा है, जिसका फलादेश है-अज्ञान जनित विकारों से…
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अयमात्मा ब्रह्म !
‘बृहदारण्यक उपनिषद’

आज विश्व प्रचण्ड भोगवाद और पारस्परिक श्रेष्ठता के दंभ से जूझ रहा है जिसका एकमात्र समाधान भारत के आध्यात्मिक विचारों में निहित है।संसार के समस्त प्राणियों के भीतर वही एक अविनाशी तत्व विद्यमान है, इस अवबोध के बाद हमारा पारस्परिक विद्वेष…

अयमात्मा ब्रह्म ! ‘बृहदारण्यक उपनिषद’ आज विश्व प्रचण्ड भोगवाद और पारस्परिक श्रेष्ठता के दंभ से जूझ रहा है जिसका एकमात्र समाधान भारत के आध्यात्मिक विचारों में निहित है।संसार के समस्त प्राणियों के भीतर वही एक अविनाशी तत्व विद्यमान है, इस अवबोध के बाद हमारा पारस्परिक विद्वेष…
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यह संसार परमात्मा की बनाई हुई एक नाट्यशाला है, जिसमें हमारे पात्र एवं भूमिकाएँ पूर्वनिर्धारित हैं, अतः स्वयं को सांसारिक प्रपंचों से मुक्त रखें । वैश्विक शांति सद्भाव एवं मानवतावादी मूल्यों के विस्तार में रंगमंचों का अप्रतिम योगदान है । आज के व्यावसायिक युग में रंगमंचों की…

यह संसार परमात्मा की बनाई हुई एक नाट्यशाला है, जिसमें हमारे पात्र एवं भूमिकाएँ पूर्वनिर्धारित हैं, अतः स्वयं को सांसारिक प्रपंचों से मुक्त रखें । वैश्विक शांति सद्भाव एवं मानवतावादी मूल्यों के विस्तार में रंगमंचों का अप्रतिम योगदान है । आज के व्यावसायिक युग में रंगमंचों की…
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मोटिवेशनल पंक्तियाँ 𝕏(@mpanktiya) 's Twitter Profile Photo

ब्याज भले ही 2% ज्यादा देना पड़े
पर अपनों से उधार कभी मत लेना !💵

ब्याज भले ही 2% ज्यादा देना पड़े पर अपनों से उधार कभी मत लेना !💵
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अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलिबालिशैः ।
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति भूति प्रदायिनीम्‌ ॥

भगवदीय कृपा के फलादेश से जीवन की निर्द्वंद, भयरहित एवं आह्लादकारक अवस्था ही प्रतीकात्मक रूप में प्रह्लाद है।धरा की समस्त विभूतियों, साधनों एवं सद्प्रवृत्तियों की सार्थकता तभी है जब जीवन…

अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलिबालिशैः । अतस्वां पूजयिष्यामि भूति भूति प्रदायिनीम्‌ ॥ भगवदीय कृपा के फलादेश से जीवन की निर्द्वंद, भयरहित एवं आह्लादकारक अवस्था ही प्रतीकात्मक रूप में प्रह्लाद है।धरा की समस्त विभूतियों, साधनों एवं सद्प्रवृत्तियों की सार्थकता तभी है जब जीवन…
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सत्संग, स्वाध्याय एवं आत्मनिरीक्षण के अनन्तर प्रस्फुटित दिव्य विचार ही साधक जीवन की श्रेष्ठ उपलब्धि है। वर्तमान के प्रयत्न, चिन्तन, विचार व व्यवहार ही भविष्य निर्माण की आधारशिला हैं। मनुष्य के प्रारब्ध, भोग भाग्य आदि के मूल भी सद्विचार ही हैं। अतः स्वयं के सर्वविध अभ्युदय के लिए…

सत्संग, स्वाध्याय एवं आत्मनिरीक्षण के अनन्तर प्रस्फुटित दिव्य विचार ही साधक जीवन की श्रेष्ठ उपलब्धि है। वर्तमान के प्रयत्न, चिन्तन, विचार व व्यवहार ही भविष्य निर्माण की आधारशिला हैं। मनुष्य के प्रारब्ध, भोग भाग्य आदि के मूल भी सद्विचार ही हैं। अतः स्वयं के सर्वविध अभ्युदय के लिए…
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Arun Govil(@arungovil12) 's Twitter Profile Photo

“समय और जीवन दुनिया के सेर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं, जीवन समय का सदुपयोग सिखाता है, और समय जीवन की कीमत सिखाता है”
जय श्री राम🙏

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Rajat Sharma(@RajatSharmaLive) 's Twitter Profile Photo

“किसी को उजाड़ कर बसे, तो क्या बसे,
किसी को रुला कर हंसे, तो क्या हंसे”

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Bhaishri Rameshbhai Oza(@PPBhaishri) 's Twitter Profile Photo

असामान्य हो कर भी सामान्य बने रहना बड़ा असामान्य है। सरलता का प्रसाद संतों के सान्निध्य और आशीर्वाद से ही प्राप्त होता है।

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सूर्य का नियत समय पर उगना, समस्त विश्व को प्रकाशित करना और फिर अस्त हो जाना यह इस बात का परिचय है कि उद्भव, उत्कर्ष और पराभव प्रकृति का शाश्वत सत्य है। वस्तुत: रात्रि के घने अंधकार में ही सूर्योदय के संकेत छिपे होते हैं, उसी प्रकार असफलता कुछ और नहीं अपितु सफलता प्राप्ति की…

सूर्य का नियत समय पर उगना, समस्त विश्व को प्रकाशित करना और फिर अस्त हो जाना यह इस बात का परिचय है कि उद्भव, उत्कर्ष और पराभव प्रकृति का शाश्वत सत्य है। वस्तुत: रात्रि के घने अंधकार में ही सूर्योदय के संकेत छिपे होते हैं, उसी प्रकार असफलता कुछ और नहीं अपितु सफलता प्राप्ति की…
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जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः !

अपनी सामर्थ्य, योग्यता और पात्रता के अनुरूप निरंतर सत्कर्म करते रहें । जिस प्रकार एक एक बूंद के संग्रहण द्वारा घट में पूर्ण जलराशि एकत्रित की जा सकती है वैसे ही छोटे अर्थात् संक्षिप्त प्रयत्नों की सुदीर्घ श्रृंखलाएं ही जीवन की सफलता और…

जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः ! अपनी सामर्थ्य, योग्यता और पात्रता के अनुरूप निरंतर सत्कर्म करते रहें । जिस प्रकार एक एक बूंद के संग्रहण द्वारा घट में पूर्ण जलराशि एकत्रित की जा सकती है वैसे ही छोटे अर्थात् संक्षिप्त प्रयत्नों की सुदीर्घ श्रृंखलाएं ही जीवन की सफलता और…
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Dr Vikas Kumar(@drvikas1111) 's Twitter Profile Photo

'फिट रहना है तो दौड़िए '

हर दिन 20-30 मिनट दौड़ना संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। आईए देखते हैं दौड़ने के 10 फायदे......

1.संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य
दौड़ते समय शरीर में एंड्रोफिन जैसे रसायन उत्पन्न होते हैं, जिनसे खुशी का अहसास होता है और हम खुद के बारे में अच्छा…

'फिट रहना है तो दौड़िए ' हर दिन 20-30 मिनट दौड़ना संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। आईए देखते हैं दौड़ने के 10 फायदे...... 1.संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य दौड़ते समय शरीर में एंड्रोफिन जैसे रसायन उत्पन्न होते हैं, जिनसे खुशी का अहसास होता है और हम खुद के बारे में अच्छा…
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हम मनुष्य असीम सामर्थ्य और शक्ति संपन्न प्राणी हैं, किन्तु योग्यता का अहंकार जीवन की श्रेष्ठ सम्भावनाओं को धूमिल कर देता है। जो कुछ हमें प्राप्त है वह भगवान का अनुग्रह है और वह सब ईश्वर का है, ऐसा मानकर उन्ही को अपना सर्वस्व अर्पण करें। प्राप्त वस्तु पदार्थों के प्रति प्रासादिक…

हम मनुष्य असीम सामर्थ्य और शक्ति संपन्न प्राणी हैं, किन्तु योग्यता का अहंकार जीवन की श्रेष्ठ सम्भावनाओं को धूमिल कर देता है। जो कुछ हमें प्राप्त है वह भगवान का अनुग्रह है और वह सब ईश्वर का है, ऐसा मानकर उन्ही को अपना सर्वस्व अर्पण करें। प्राप्त वस्तु पदार्थों के प्रति प्रासादिक…
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स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवाः सत्पुरुषाः पिता।
ज्ञातयः स्नानपानाभ्यां वाक्यदानेन पण्डिताः ॥

पारस्परिक स्नेह, त्याग की भावना और ज्येष्ठजनों का अंकुश-अनुशासन चिरकाल से व्यक्ति परिवार और समाज में एकता , सामंजस्य और राष्ट्र की चौमुखी प्रगति का आधार सिद्ध हुआ है ।जहाँ पारिवारिक…

स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवाः सत्पुरुषाः पिता। ज्ञातयः स्नानपानाभ्यां वाक्यदानेन पण्डिताः ॥ पारस्परिक स्नेह, त्याग की भावना और ज्येष्ठजनों का अंकुश-अनुशासन चिरकाल से व्यक्ति परिवार और समाज में एकता , सामंजस्य और राष्ट्र की चौमुखी प्रगति का आधार सिद्ध हुआ है ।जहाँ पारिवारिक…
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सत्संगत्वे निस्संगत्वं, निस्संगत्वे निर्मोहत्वम्। निर्मोहत्वे निश्चलतत्वं,निश्चलतत्वे जीवनमुक्ति:॥

यद्यपि मनुष्य देह दुर्लभ है किन्तु इतना ही पर्याप्त नही है, अपितु हम प्रेम, मैत्री ,करुणा आदि मानवीय गुणयुक्त रहें।अज्ञानजन्य विविध दुखों से निवृत्ति और सत्य प्राप्ति की तीव्र…

सत्संगत्वे निस्संगत्वं, निस्संगत्वे निर्मोहत्वम्। निर्मोहत्वे निश्चलतत्वं,निश्चलतत्वे जीवनमुक्ति:॥ यद्यपि मनुष्य देह दुर्लभ है किन्तु इतना ही पर्याप्त नही है, अपितु हम प्रेम, मैत्री ,करुणा आदि मानवीय गुणयुक्त रहें।अज्ञानजन्य विविध दुखों से निवृत्ति और सत्य प्राप्ति की तीव्र…
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गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत्।
प्रभवः प्रलयः स्थानं निधानं बीजमव्ययम्।।

बाह्य जगत् की अनुकूलताओं प्रतिकूलताओं से प्रभावित हुए बिना स्वयं के सच्चिदानन्द स्वरूप आत्मसत्ता की उत्कृष्टता और परिपूर्णता की अनुभूति तथा सचराचर जगत् में सर्वत्र परमात्मा के विस्तार का अनुभव…

गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत्। प्रभवः प्रलयः स्थानं निधानं बीजमव्ययम्।। बाह्य जगत् की अनुकूलताओं प्रतिकूलताओं से प्रभावित हुए बिना स्वयं के सच्चिदानन्द स्वरूप आत्मसत्ता की उत्कृष्टता और परिपूर्णता की अनुभूति तथा सचराचर जगत् में सर्वत्र परमात्मा के विस्तार का अनुभव…
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धर्माय यशसेर्थाय कामाय स्वजनाय च।
पंचधा विभजान्तित्तमिहामुत्र च मोदते।।

भारतीय संस्कृति का मूल स्वर “इदम न मम' है। इसका अर्थ है कि हमारे पास जो कुछ भी है उसमें अन्यों के भी हिस्से हैं और हम स्वार्थी न रहें ।अतः प्राप्त साधनों को परिजनों एवं साधनहीन बंधुओं के साथ बांटना…

धर्माय यशसेर्थाय कामाय स्वजनाय च। पंचधा विभजान्तित्तमिहामुत्र च मोदते।। भारतीय संस्कृति का मूल स्वर “इदम न मम' है। इसका अर्थ है कि हमारे पास जो कुछ भी है उसमें अन्यों के भी हिस्से हैं और हम स्वार्थी न रहें ।अतः प्राप्त साधनों को परिजनों एवं साधनहीन बंधुओं के साथ बांटना…
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Bhaishri Rameshbhai Oza(@PPBhaishri) 's Twitter Profile Photo

छठ दम सील बिरती बहु करमा।
निरत निरंतर सज्जन धरमा ॥

- श्रीमद् रामचरितमानस

( छठी भक्ति है इंद्रियों का निग्रह, शील-अच्छा स्वभाव या चरित्र, बहुत कार्यों से वैराग्य और निरंतर संत पुरुषों के धर्म-सदाचार में लगे रहना।)

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योजनानां सहस्रं तु शनैर्गच्छेत् पिपीलिका ।
आगच्छन् वैनतेयोपि पदमेकं न गच्छति ॥

जीवन का सबसे बड़ा शत्रु प्रमाद, आलस्य और जड़ता है। किसी भी कार्य को क्रियान्वित करने का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त आज और अभी है। कर्तव्यनिष्ठ साधक और सुधीजन अच्छे समय और अधिक साधनों की प्रतीक्षा में अपना…

योजनानां सहस्रं तु शनैर्गच्छेत् पिपीलिका । आगच्छन् वैनतेयोपि पदमेकं न गच्छति ॥ जीवन का सबसे बड़ा शत्रु प्रमाद, आलस्य और जड़ता है। किसी भी कार्य को क्रियान्वित करने का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त आज और अभी है। कर्तव्यनिष्ठ साधक और सुधीजन अच्छे समय और अधिक साधनों की प्रतीक्षा में अपना…
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