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Unofficial Gandhi

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Gandhian | History | Myth Busting | Books |
“As long as there is humanity, there will be Gandhi and his thoughts.” 🕊️

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calendar_today11-07-2021 08:38:46

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इन गंदे हाथों से बापू के नाम की मुट्ठी भांजते तुम्हारे हाथ नहीं कांपते?'

अपने अजीज नेता नेहरू की बात उन लोगों ने मानी। लूट का माल रख दिया। अपने किए पर माफ़ी मांगी।

ऐसे थे हमारे पुरखे जो दंगे शांत कराने को अपना कर्तव्य मानते थे न कि दंगे भड़काने को।

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प्रधानमंत्री नेहरू को जब भीड़ ने देखा तो 'महात्मा गांधी की जय','भारत माता की जय' आदि नारे लगाने लगे। नेहरू ने उस जत्थे को ललकारा,

'हाथ में अपने ही भाइयों से लूटा हुआ माल लेकर महात्मा गांधी और भारत माता की जय के नारे लगाते हुए शर्म नहीं आती।+

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जब नेहरू ने दंगाइयों को ललकारा :

देश नया-नया आज़ाद हुआ था। साम्प्रदायिक दंगों का दौर था। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नेहरू इलाहाबाद के एक ग्रामीण इलाके से गुज़र रहे थे। नेहरू ने देखा कि गांव वालों का एक जत्था सामान लूट कर चले आ रहे थे।

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जब नेहरू ने दंगाइयों को ललकारा : देश नया-नया आज़ाद हुआ था। साम्प्रदायिक दंगों का दौर था। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नेहरू इलाहाबाद के एक ग्रामीण इलाके से गुज़र रहे थे। नेहरू ने देखा कि गांव वालों का एक जत्था सामान लूट कर चले आ रहे थे। +
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'आखिर में यह मुल्क क्या है? यह हिमालय पहाड़ नहीं है, न कन्याकुमारी है। यह मुल्क इसके रहने वाले छत्तीस करोड़ लोग हैं और आखिर में इस मुल्क की भलाई-बुराई उन छत्तीस करोड़ लोगों की भलाई - बुराई है। और आखिर में मुल्क है, हमारे बच्चे।'

- नेहरू, 15 अगस्त 1952 को।

'आखिर में यह मुल्क क्या है? यह हिमालय पहाड़ नहीं है, न कन्याकुमारी है। यह मुल्क इसके रहने वाले छत्तीस करोड़ लोग हैं और आखिर में इस मुल्क की भलाई-बुराई उन छत्तीस करोड़ लोगों की भलाई - बुराई है। और आखिर में मुल्क है, हमारे बच्चे।' - नेहरू, 15 अगस्त 1952 को।
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'Communalism of the majority is far more dangerous than the communalism of the minority. It wears the garb of nationalism.”

- Jawahar Lal Nehru, May 1958

'Communalism of the majority is far more dangerous than the communalism of the minority. It wears the garb of nationalism.” - Jawahar Lal Nehru, May 1958
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नेहरू की माँ स्वरुप रानी नेहरू का एक किस्सा मुझे याद आता है कि इलाहाबाद में अप्रैल 1932 में पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज किया। सिर पर गहरी चोटें आईं। बरेली जेल में बंद अपने पुत्र को इसके बारे में बताते हुए उन्होंने लिखा, 'एक बहादुर बेटे की माँ को कुछ तो उसके जैसा होना चाहिए!'

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गांधी और नेहरू! लेखक सुशोभित के शब्दों में कहें तो आधुनिक भारत के दो अनिवार्य नक्षत्र, वस्तु और रूप, चरखा और गुलाब, यानी भारत का अद्वैत।

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जनवरी 1948 में गांधी अपने अंतिम उपवास पर थे। नेहरू जब बिरला भवन के गेट पर पहुँचे तो एक भीड़ नारे लगा रही थी, 'गांधी को मर जाने दो!' पंडित जी ने नारे सुने तो तमक के गाड़ी से उतरे और भीड़ में जा घुसे। चिल्लाकर पूछा, 'कौन गांधी को मारना चाहता है! गांधी से पहले मुझे मारो!'

जनवरी 1948 में गांधी अपने अंतिम उपवास पर थे। नेहरू जब बिरला भवन के गेट पर पहुँचे तो एक भीड़ नारे लगा रही थी, 'गांधी को मर जाने दो!' पंडित जी ने नारे सुने तो तमक के गाड़ी से उतरे और भीड़ में जा घुसे। चिल्लाकर पूछा, 'कौन गांधी को मारना चाहता है! गांधी से पहले मुझे मारो!'
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'No one has rendered as much service to the peasants as Pandit Jawaharlal Nehru have. For your sakes he has sacrificed a life of comfort and readily shared your troubles. How can we move a step without his help?'

~ Sardar Patel

Narahari Parikh's Sardar Patel volume 2 page 210

'No one has rendered as much service to the peasants as Pandit Jawaharlal Nehru have. For your sakes he has sacrificed a life of comfort and readily shared your troubles. How can we move a step without his help?' ~ Sardar Patel Narahari Parikh's Sardar Patel volume 2 page 210
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'The prime minister (Nehru) is the acknowledged leader of the country. I have no doubt that the choice between him and myself should be resolved in his favour. '
-
Sardar Patel

(Source - Patel a life by Rajmohan Gandhi pg no. 460)

'The prime minister (Nehru) is the acknowledged leader of the country. I have no doubt that the choice between him and myself should be resolved in his favour. ' - Sardar Patel (Source - Patel a life by Rajmohan Gandhi pg no. 460)
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'सौभाग्यशाली था भारत, नेहरू में एक उत्कृष्ट चरित्र और ज्ञान के व्यक्ति को पा कर। नेहरू आज आज़ाद दुनिया के प्रधानमंत्रियों के अधिनायक हैं।'
-
भारत की आज़ादी के वक़्त ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, क्लीमेंट एटली।

'सौभाग्यशाली था भारत, नेहरू में एक उत्कृष्ट चरित्र और ज्ञान के व्यक्ति को पा कर। नेहरू आज आज़ाद दुनिया के प्रधानमंत्रियों के अधिनायक हैं।' - भारत की आज़ादी के वक़्त ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, क्लीमेंट एटली।
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नेहरू आगे कहते हैं,
'हिन्दुस्तान की जड़ है आपस में इत्तिहाद और हिंदुस्तान में जो मुखतलिफ धर्म, जातियां हैं उनसे मिल के रहना। एक दूसरे का सम्मान करना।'

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'अगर कोई धर्म वाला यह समझता है कि हिन्दुस्तान पर उसी का हक़ है, औरों का नहीं तो उसने हिन्दुस्तान की राष्ट्रीयता और कौमीयत को समझा नहीं है। वह हिन्दुस्तान की आज़ादी का एक माने में दुश्मन हो जाता है, उस आज़ादी के टुकड़े करता है।'

- नेहरू, 15 अगस्त 1954 को।

'अगर कोई धर्म वाला यह समझता है कि हिन्दुस्तान पर उसी का हक़ है, औरों का नहीं तो उसने हिन्दुस्तान की राष्ट्रीयता और कौमीयत को समझा नहीं है। वह हिन्दुस्तान की आज़ादी का एक माने में दुश्मन हो जाता है, उस आज़ादी के टुकड़े करता है।' - नेहरू, 15 अगस्त 1954 को।
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नेहरू ने तिस पर कहा कि, 'आप गलत हैं, मिस्टर चर्चिल! हमने ऐसे नेता के नेतृत्व में काम किया जिसने हमें दो चीज़ें सिखाईं कि कभी किसी से डरना मत और किसी से कभी नफ़रत मत करना। जब हम आपसे तब डरे नहीं तो अब हम आपसे नफ़रत क्यूँ करेंगे।'

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आशुतोष प्रसिद्ध(@iamprasidha) 's Twitter Profile Photo

महात्मा गांधी के बारे में जितना बोला जाए, जितना कहा जाए वह कम है, अगर कहें कि सारे शब्दकोश मिलकर भी गाँधी के व्यक्तित्व की ऊँचाई नहीं छू सकते तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। गाँधी को उनकी क्षमा और स्वीकार लेने की क्षमता ही सबसे अलग और सबसे मानवीय बनाती है।
youtu.be/ZXJ75n7bg48?si…

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'एक ऐसे समय जब अधिकतर नेता देश को धर्म के नाम पर बाँट रहे हैं, तब नेहरू हमारे नेताओं को सिखाने का काम करते हैं किस प्रकार धर्म, जाति का सहारा लिए बिना भी भारी बहुमत से लगातार तीन आम चुनाव जीते जा सकते हैं।'

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