पहले पढ़ना लिखना सीख लिया होता इतना दोषारोपण किया नहीं होता। रूलाया कह के यही बात रोते हो दिन रात, इतने आँसू गिरा दिया गिरा नहीं होता। बह गये कितने कस्बे गाँव इतना शहर बसा नहीं होता। सब रहते मिल जुल इतना भेद हुआ नहीं होता।
यही मेरा नव वर्ष सही है मजरी है आमों पर फूला लता उद्दामो पर हर ओर छाई हरियाली है फसले कटने वाली है लता तरू और विटप तरूणाई में हर डाली है। धरती पर लोट रही खुशी चेहरे पर आयी लौट हँसी सच में मेरा नव वर्ष यही है।