Sangita Arora
@SangitaArora6
मेरी स्वरचित सकारात्मक कवितायें ही मेरी पहचान,लाइक रिट्वीट के लिए सदा आभार 🙏https://t.co/V64N9QB115
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18-09-2017 18:30:02
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बूँद बूँद तरस जाओगे
जो मैं सूख गई
दाने दाने को मोहताज
यही कहती नदी गई
धरती है मेरी सखी
मैं’हूँ तो वो भी हरी
मैं हम में बिल्कुल नहीं
ख़ुद्दारी पर है बड़ी
जीवन दायिनी प्रकृति
और कुछ ना माँगती
दिल से तुम सम्मान दो
सुन्दरता का भान हो
#विश्व_प्रकृति_संरक्षण_दिवस
#काव्य_कृति #संगीता
बूँद बूँद तरस जाओगे
जो मैं सूख गई
दाने दाने को मोहताज
यही कहती नदी गई
धरती है मेरी सखी
मैं’हूँ तो वो भी हरी
मैं हम में बिल्कुल नहीं
ख़ुद्दारी पर है बड़ी
जीवन दायिनी प्रकृति
और कुछ ना माँगती
दिल से तुम सम्मान दो
सुन्दरता का भान हो
#विश्व_प्रकृति_संरक्षण_दिवस
#काव्य_कृति #संगीता
खुद को छलने का छलावा
आसान नहीं ज़िन्दगी
लाख बार सोच कर
उठें कदम बन्दगी
मगर क्यों वक़्त की व्यथा
कहानी बन जाती कभी
बाँच कर फिर बाँचते
हर बार लगे अनकही
मृगतृष्णा कहो कृष्णा
छलावे का बीज है
सत्य लगता है यही
हवा भी छल जाती कभी
#काव्यसरिता
#WordOfTheDay #छलावा
🙏 #संगीता
रणजीतसिंह🤠😎 ₹aजीव🇮🇳 नृत्य गान बरखा बदली
देख रहे थे मोटू राम
जी ललचाया मीठा खालू
चीला चाय जलेबी राम
पत्नी से जाकर फ़रमाया
पूरी आलू भाजी हो
संग में तुम बैठी हों मेरे
हाथ में चाय की प्याली हो
थैला हाथ में देकर बोली
श्री मति जी मुस्का कर
क़लम हाथ से लेकर बोलीं
लेकर आओ प्रभु भर कर
#काव्यसरिता
🙏 #संगीता