लफ़्ज़ ...गर लिखे पन्ने पर... तो किताब बने... लिखे.. किसी के दिल पर तो ... धड़कन बने.... लफ़्ज़ वही... गर ...जज़्बात से पढ़े तो ... इश्क बने ... लफ़्ज़ वही.....गर.. विरह के राग से भरे हो तो.... कहर और ज़हर दोनो बने... . . . . #ज़हर#विरह#राग#इश्क
चाय की चुस्की लेते हुए.... यादों की किताब के पन्ने .... पलट कर देखोगे.... जब भी... हर पन्ने के हर लफ़्ज़ में ... मुस्कुराते नज़र आयेंगे हम.... तब भी... . . . . . #यादें#एहसास#उड़ान#नज़्म
तेरी यादों के साए में.... काशी विश्वनाथ तो क्या अजंता _एलोरा की गुफाएं तक न छोड़ी हमने... हर जगह जहां भी विचरण किया... साथ हमारे तुम नज़र आए... गालिब की शायरी तो क्या ... नरवाल की खूबसूरत प्रस्तुति में भी सामने.. तुम नज़र आए.. . . #नज़र#शायरी
दिल में छुपा कर ... हर लफ़्ज़ एहसास के... आंखों से बया कर ...पाओगे क्या.... लिखा है बहुत कुछ हमने... तुम समझ ...पाओगे क्या.... बात क्या करे गैरों की...तुम... हमको अपना हिस्सा बना... पाओगे क्या.... . . . . . #एहसास#रंग#वजूद#नज़्म
सादगी से पूर्ण ... सोलह श्रृंगार किए फागुन ने... बयार बही जो इश्क की तेरी.... विलुप्त होती ....तेरी चौखट से... छवि हमारी... नज़र पड़ी तेरे इश्क की.... जीवंत जिंदगी हो गई हमारी.... . . . . . #जिंदगी#नज़्म#जीवन्त#सारनाथ
माना कि पाबंदियां है ...तुझे छूने से...पर.. तुझे दिल के आईने से निहारने... में कोई हर्ज तो नहीं... माना कि चांद और तुझे पा नहीं सकते..पर.. तुझे ये दिल प्यार भी ना करे.. इस दिल पर कोई जोर तो नहीं.... . . #दिल#जोर#इश्क#मर्ज
परिभाषा मौन की इतनी सुलभ कहां.. समझना हो जो मौन को.. तो ख़ुद को तराशना जरूरी है... आलिंगन हो हृदय से हृदय का... लब हो नि:शब्द फिर भी नज़रें बोलती है... भेद ये सारे दिलों के खोल देती है... . . . . #दिल#नज़र
भरोसे की डोर... जो बंधी तुमसे है.... उसी के सहारे ....बेखौफ हो सो जाते हैं.... विश्वास ख़ुद से ज्यादा ...तुझ पर है.... तब ही तो बातें .... कुछ ज्यादा ही ...तुमसे कर जाते हैं.... . . . . #एहसास#नज़्म#बातें#उड़ान
खोने या पाने का शोक नहीं .... अपनाने का शोक रखते हैं... शिकायत नही किसी से भी.. अपनी तक़दीर पर भरोसा रखते हैं.. जब भी रुखसत हो इस जहां से... आंखें नम हो उनकी.. मुस्कान हो लबों पे हमारी.. अरमान यही दिल में रखते हैं.... . . . . #अरमान#एहसास#चाहत#उड़ान
मेरी ज़िंदगी तुझ में ऐसे उलझ गई है .... जैसे.. कोई सुबह की नींद का नशा हो तुम..... तलब इतनी कि.. ना छोड़ें बनता है ना ही पकड़े... मेरे लबों से लिपटी सिगरेट की... धुंआ का आखिरी कश हो तुम..... . . . . #कश#उड़ान#भंवर#इश्क
तेरी बाहों में आने की ख्वाइश... परवान जब चढ़ती है.... मुझे... ख़ुद की नज़रों में रुसवा होने से नही... जमाने में तेरी ... रुसवाई से डर लगता है... वरना... जितना तुम सोच भी नहीं सकते... उतनी हद लांघने का दम रखते हैं... . . . . #हद#सोच#जमाना#इश्क
महज़ निगाहों के इशारों से शुरू हुआ है.... इश्क हमारा.... चंद लफ़्ज़ों के इकरार पर रुका है... इश्क हमारा..... वो लबों से बोल नही पा रहे...और... हम उनका इंतजार करते करते थक नही पा रहे.... . . . . . #इश्क#लब#इकरार#उड़ान
ये तकलूफ नही रिवाज़ है चाय.... मानो तो दिल का सुकून है चाय... यूं तो बहाना है चाय... हकीकत में... तेरे साथ वक्त बिताने की..... तलब है चाय.... . . . . #इश्क#तलब
कुछ दर्द बया ना होते.कुछ दर्द दवा होते हैं. कुछ दर्द दिल का सहारा होते हैं.तो. कुछ किताबों में छुपे ज़िंदगी के हिस्से होते हैं. समझना हमें है.ये दर्द ही मलहम बन.हमारे ज़ख्मों को सहलाते भी यही है. जिनको हम खामखां कोसते हैं. जिंदगी असली चेहरा दिखाते भी यही है.
हमें जरूरत ही क्या इत्र लगाने की... खुश्बू की.. तेरे अक्श से हम... ख़ुद ही महके जा रहे हैं.. कभी आंखों से...कभी हवाओं से... नाम तेरा लेकर...सदा पुकारा तुझे है... तुम समझ जाओ... लबों से पुकारने की रिवाज तो... जमाने के लिए है... . । #लब#रिवायत#एहसास#इश्क
इस दुनियां के रंग मंच पर.. सबके अपने किरदार है... किसी के हिस्से ख़ुद का अक्श..तो. किसी के हिस्से दिल का अक्श आता है... निभाना सभी को सारे किरदार है.. कोई शिकायत कर जाता है..तो. कोई मौन ख़ामोशी से निभा जाता है... . #किरदार#अक्श#रहनुमा#आइना
कभी रब को देखा नही... पर ..रब सा लगता है वो... उसकी पनाह में.. ख़ुद को महफूज़ रख कर... एक अजीब सा सुकून भरा.... अपनेपन का एहसास दिलाता है वो.... . . . . . #एहसास#सुकून#पनाह#नज़्म