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Riya Talreja

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calendar_today15-10-2014 13:58:26

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आत्मीयता और पारस्परिक प्रीति ही किसी भी संबध की प्राण सत्ता है। अतः साधनों की प्रचुरता व संग्रहण में कुटुंबियों और स्वजनों की अनदेखी न करें। अपनी व्यस्तताओं में से परिवार, समाज और देश के लिए कुछ समय अवश्य निकालें।

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जो साधक अन्य की विकलताएँ और अभाव देख पाते हैं, वही परमात्मा के प्रिय हैं। परमार्थ प्रकृति का मूल स्वर है। धरती - अम्बर, अग्नि -जल, पवन-प्राण, प्रकाशादि के रूप में परमात्मा स्वयं भी सेवा और पारमार्थिक कार्यों में संलग्न है। अत: पारमार्थिक रहें !

जो साधक अन्य की विकलताएँ और अभाव देख पाते हैं, वही परमात्मा के प्रिय हैं। परमार्थ प्रकृति का मूल स्वर है। धरती - अम्बर, अग्नि -जल, पवन-प्राण, प्रकाशादि के रूप में परमात्मा स्वयं भी सेवा और पारमार्थिक कार्यों में संलग्न है। अत: पारमार्थिक रहें ! #AvdheshanandG_Quotes #Wellbeing
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आज भौतिकीय सुख वांछाओं में अभिवृद्धि की उत्कंठा इतनी प्रबल है कि प्रेम और कौटुंबिक प्रवृत्तियाँ गौण होती जा रही हैं । मानवीय संवेदनायें समाचार सूचना में परिवर्तित हो गई हैं । हमें यह समझना होगा कि यांत्रिकीय उपकरण कभी भी आत्मीय सुख का आधार नही हो सकते ।

आज भौतिकीय सुख वांछाओं में अभिवृद्धि की उत्कंठा इतनी प्रबल है कि प्रेम और कौटुंबिक प्रवृत्तियाँ गौण होती जा रही हैं । मानवीय संवेदनायें समाचार सूचना में परिवर्तित हो गई हैं । हमें यह समझना होगा कि यांत्रिकीय उपकरण कभी भी आत्मीय सुख का आधार नही हो सकते । #AvdheshanandG_Quotes
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आत्म-जागरण की दिशा में अहंकार सबसे बड़ी चुनौती है जो जीवन की दिव्यता और आध्यात्मिक संभावनाओं को धूमिल करता रहता है | अतः सर्वतोभावेन समर्पण और निष्काम भाव से परमार्थ पारायण रहें ! जो कर्तापन के अभिमान से मुक्त हैं वही आनन्द साम्राज्य के अधिकारी हैं !

आत्म-जागरण की दिशा में अहंकार सबसे बड़ी चुनौती है जो जीवन की दिव्यता और आध्यात्मिक संभावनाओं को धूमिल करता रहता है | अतः सर्वतोभावेन समर्पण और निष्काम भाव से परमार्थ पारायण रहें ! जो कर्तापन के अभिमान से मुक्त हैं वही आनन्द साम्राज्य के अधिकारी हैं ! #AvdheshanandG_Quotes #Yoga
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नकारात्मक अशुभ विचार , शुभ सकारात्मक अच्छे विचारों के सामने टिक नहीं सकते। साहस भय पर विजय प्राप्त करता है।धैर्य क्रोध और चिड़चिड़ेपन पर विजय प्राप्त करता है। प्रेम घृणा पर विजय प्राप्त करता है और पवित्रता वासना पर विजय प्राप्त करती है।

नकारात्मक अशुभ विचार , शुभ सकारात्मक अच्छे विचारों के सामने टिक नहीं सकते। साहस भय पर विजय प्राप्त करता है।धैर्य क्रोध और चिड़चिड़ेपन पर विजय प्राप्त करता है। प्रेम घृणा पर विजय प्राप्त करता है और पवित्रता वासना पर विजय प्राप्त करती है। #AvdheshanandG_Quotes #स्वाध्याय #yoga
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निर्बाध सफलता प्राप्ति के लिए ज्ञान, पुरुषार्थ और सटीक योजनाओं का सही समय पर क्रियान्वयन हो।उच्चतर लक्ष्यों की प्रति निमित्त जागरूकता, पुरुषार्थ और विवेक अपेक्षित है।अत: आध्यात्मिक रहें ।

निर्बाध सफलता प्राप्ति के लिए ज्ञान, पुरुषार्थ और सटीक योजनाओं का सही समय पर क्रियान्वयन हो।उच्चतर लक्ष्यों की प्रति निमित्त जागरूकता, पुरुषार्थ और विवेक अपेक्षित है।अत: आध्यात्मिक रहें । #AvdheshanandG_Quotes #mindfullness #Wellbeing #wellness #yoga #सनातन_संस्कृति #G20India
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धरा की समस्त विभूतियों साधनों एवं सद्प्रवृत्तियों की सार्थकता तभी है जब जीवन भगवदोन्मुखी हो अन्यथा सिद्धियों का अहंकार ही मनुष्य के पतन का कारण बन जाता है । आओ मिलकर होलिका दहन के अवसर पर अपने जीवन से अहंकार का विसर्जन करें।

धरा की समस्त विभूतियों साधनों एवं सद्प्रवृत्तियों की सार्थकता तभी है जब जीवन भगवदोन्मुखी हो अन्यथा सिद्धियों का अहंकार ही मनुष्य के पतन का कारण बन जाता है । आओ मिलकर होलिका दहन के अवसर पर अपने जीवन से अहंकार का विसर्जन करें। #Avdheshanand_Quotes #होलिका_दहन #holi #सनातन_धर्म
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'आत्मन: प्रतिकूलानि परेषाम् न समाचरेत'

समष्टि के सभी प्राणियों के हित अधिकारों और स्वाभिमान का रक्षण ही भारतीय संस्कृति का वैशिष्ट्य है। हमारी संस्कृति जीव मात्र एवम् सर्वत्र परमात्मा की उपस्थिति का अनुभव करने वाली दिव्य संस्कृति है।

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पुस्तकें ज्ञान का स्रोत व जीवन्त दैव प्रतिमाएँ हैं ।समष्टि का सम्पूर्ण सत्य विज्ञान संस्कृति संस्कार और जीवन का यथार्थ पुस्तकों में ही संकलित व समाहित है । में अनेक लेखकों और विचारकों से मिलकर अभिभूत हूँ |

पुस्तकें ज्ञान का स्रोत व जीवन्त दैव प्रतिमाएँ हैं ।समष्टि का सम्पूर्ण सत्य विज्ञान संस्कृति संस्कार और जीवन का यथार्थ पुस्तकों में ही संकलित व समाहित है । #विश्व_पुस्तक_मेला में अनेक लेखकों और विचारकों से मिलकर अभिभूत हूँ | #WorldBookDay2023 #Avdheshanand_Quotes #books
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अभयता और संपूर्णता की संप्राप्ति विद्या द्वारा होती है। जैसे बीज में विशाल वृक्ष की संभावनाएँ निहित है वैसे ही प्रत्येक मनुष्य में अनंत सामर्थ्य व श्रेष्ठता समाहित है। विद्या और सुसंस्कार हमारे अंतस् में समाहित संपूर्णता को प्रकट करने में सहायक हैं।


अभयता और संपूर्णता की संप्राप्ति विद्या द्वारा होती है। जैसे बीज में विशाल वृक्ष की संभावनाएँ निहित है वैसे ही प्रत्येक मनुष्य में अनंत सामर्थ्य व श्रेष्ठता समाहित है। विद्या और सुसंस्कार हमारे अंतस् में समाहित संपूर्णता को प्रकट करने में सहायक हैं। #AvdheshanandG_Quotes #yoga
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श्रमेव जयते !
इस धरा की समस्त अनुकूलताएँ एवं नयनाभिराम दृश्य मनुष्य के उद्यम और श्रम साधना का ही परिणाम हैं, पुरुषार्थ रहित व्यक्ति से देवता भी विमुख हो जाते हैं।अत: जीवन के उन्नयन के लिए श्रमशील रहें ।

श्रमेव जयते ! इस धरा की समस्त अनुकूलताएँ एवं नयनाभिराम दृश्य मनुष्य के उद्यम और श्रम साधना का ही परिणाम हैं, पुरुषार्थ रहित व्यक्ति से देवता भी विमुख हो जाते हैं।अत: जीवन के उन्नयन के लिए श्रमशील रहें । #AvdheshanandG_Quotes #सनातन_धर्म #mindfullness #yoga #wellness #wellbeing
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अज्ञानता के कारण व्यक्ति का मन इधर-उधर भटकता रहता है क्योंकि उसे अपने सही गंतव्य का पता ही नहीं होता है, जबकि कि परम आनंद का स्रोत उसमें स्वयं समाहित है | अतः आनंद और समाधान के लिए अपनी अविनाशी सत्ता अर्थात् स्वयं की और बढ़ें |

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संसार की नश्वरता की अनुभूति, आत्म ज्ञान की स्थिरता और इंद्रिय जन्य विकारों पर मुक्ति ही जीवन की सच्ची जय है। विजया एकादशी सर्वथा शुभ हो।

संसार की नश्वरता की अनुभूति, आत्म ज्ञान की स्थिरता और इंद्रिय जन्य विकारों पर मुक्ति ही जीवन की सच्ची जय है। विजया एकादशी सर्वथा शुभ हो। #विजया_एकादशी #Avdheshanand_Quotes #aajkamantra #thougtsoftheday #vijya_ekadashi
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उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम्।
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामबल्लभाम्॥

पूर्ण परात्पर ब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की लीला सहचरी जगत जननी माँ जानकी के प्राकट्योत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ !

उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामबल्लभाम्॥ पूर्ण परात्पर ब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की लीला सहचरी जगत जननी माँ जानकी के प्राकट्योत्सव #सीता_अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ! #Avdheshanand_Quotes #सनातन_धर्म #रामचरित_मानस #mindset
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हमारा भौतिक आध्यात्मिक उत्थान निरालस्यता तथा पुरुषार्थ के ऊपर निर्भर है। मनुष्य के दिव्य भाग्य आदि का मूल भी पुरुषार्थ ही है। हमारे वर्तमान के प्रयत्न चिंतन, विचार और व्यवहार भविष्य निर्धारक हैं ।अत: सफल जीवन निर्मिति हेतु पुरुषार्थी बनें।

हमारा भौतिक आध्यात्मिक उत्थान निरालस्यता तथा पुरुषार्थ के ऊपर निर्भर है। मनुष्य के दिव्य भाग्य आदि का मूल भी पुरुषार्थ ही है। हमारे वर्तमान के प्रयत्न चिंतन, विचार और व्यवहार भविष्य निर्धारक हैं ।अत: सफल जीवन निर्मिति हेतु पुरुषार्थी बनें। #AvdheshanandG_Quotes #mindset #yoga
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“सर्वं खल्विदं ब्रह्म”

एक ही ब्रह्म समान रूप से सम्पूर्ण जैव जगत् में विस्तृत है।जातियाँ भारत का सौंदर्य हैं ; सभी जातियाँ समान हैं और सभी जातियाँ महान हैं। सामाजिक समरसता के सूत्रधार महान जी की जयंती पर सादर भावपूर्ण स्मरण ।

“सर्वं खल्विदं ब्रह्म” एक ही ब्रह्म समान रूप से सम्पूर्ण जैव जगत् में विस्तृत है।जातियाँ भारत का सौंदर्य हैं ; सभी जातियाँ समान हैं और सभी जातियाँ महान हैं। सामाजिक समरसता के सूत्रधार महान #संत_रविदास जी की जयंती पर सादर भावपूर्ण स्मरण । #AvdheshanandG_Quotes #ravidasjayanti
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नदियां जीवन का मूल स्रोत तथा अनेक सभ्यता और संस्कृतियों की संवाहिकाएं हैं ।सलिलाओं की शुचिता, सातत्य और अविरलता निर्मलता के लिये आगे आएँ ।माघ पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

नदियां जीवन का मूल स्रोत तथा अनेक सभ्यता और संस्कृतियों की संवाहिकाएं हैं ।सलिलाओं की शुचिता, सातत्य और अविरलता निर्मलता के लिये आगे आएँ ।माघ पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ । #AvdheshanandG_Quotes #savewater #saveearth #savenarure #सनातन_संस्कृति #जल_संरक्षण #yoga #माघ_पूर्णिमा
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अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः । अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ॥

Seek to know who you really are. Spiritual path aims at providing an understanding of your true nature. You are not the body, mind or intellect. You are the eternal,divine,pure Self.

अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः । अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ॥ Seek to know who you really are. Spiritual path aims at providing an understanding of your true nature. You are not the body, mind or intellect. You are the eternal,divine,pure Self. #AvdheshanandG_Quotes
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जगत् स्वभावत: परिवर्तनशील है | समय परिस्थियाँ और व्यक्तियों के स्वभाव एक जैसे कभी नहीं रहते | अतः निराश न हों। सकारात्मक एवम् यथार्थवादी रहें।महान लक्ष्य निर्धारित करें और उनकी पूर्ति तक अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा एकाग्रता उन्हीं पर केंद्रित करें।

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आज बाडमेर राजस्थान तारातरा मठ के श्री स्वामी जगराम पुरी जी द्वारा आयोजित मठ के वार्षिक उत्सव में योगऋषि पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज जूना अखाड़ा से स्वामी हरिगिरि जी व प्रेमगिरि सहित लाखों अनुयायीओं व अन्य संतों के साथ सहकार कर अभिभूत हूँ । स्वामी रामदेव

आज बाडमेर राजस्थान तारातरा मठ के श्री स्वामी जगराम पुरी जी द्वारा आयोजित मठ के वार्षिक उत्सव में योगऋषि पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज जूना अखाड़ा से स्वामी हरिगिरि जी व प्रेमगिरि सहित लाखों अनुयायीओं व अन्य संतों के साथ सहकार कर अभिभूत हूँ । @yogrishiramdev #AvdheshanandG_Quotes
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