#सत_भक्ति_सन्देश
#GodMorningMonday
पूर्ण गुरु
तत्वदर्शी संत गुरु न मिलने के कारण जोसाधना साधक करते हैं, वह शास्त्र विधि त्यागकर मनमाना आचरण होता है जिससे कोई लाभ साधक को नहीं होता।
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#धरती_को_स्वर्ग_बनाना_है
गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24में कहा है कि जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं,उनको न सुख होता है,न आध्यात्मिक भक्ति की शक्ति यानि सिद्धि जिससे कार्य सिद्ध होते हैं, और न उनकी गति(मुक्ति)होती है।
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#धरती_को_स्वर्ग_बनाना_है
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में कहा है कि जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं, उनको न सुख प्राप्त होता है, न आध्यात्मिक भक्ति की शक्ति यानि सिद्धि जिससे कार्य सिद्ध होते हैं, प्राप्त होती है और न उनकी गति यानि मुक्ति होती है।
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गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख होता है ना कोई सिद्धि प्राप्त होती है तथा ना ही उनकी गति अर्थात मोक्ष होता है।
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श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में कहा है कि जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं, उनको न सुख प्राप्त होता है, न आध्यात्मिक भक्ति की शक्ति यानि सिद्धि जिससे कार्य सिद्ध होते हैं, प्राप्त होती है और न उनकी गति यानि मुक्ति होती है।
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श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में कहा है कि जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं, उनको न सुख प्राप्त होता है, न आध्यात्मिक भक्ति की शक्ति यानि सिद्धि जिससे कार्य सिद्ध होते हैं l
Sant Rampal Ji Maharaj
#आओ_जानें_सनातन_को
सनातन धर्म महान है
सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार अपनी भक्तिकर्म करने चाहिए प्रमाण के लिए देखें श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 व 24 में मनमाना आचरण करने को वर्जित किया है।
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#GodMorningMonday
संत रामपाल जी महाराज जी शास्त्र अनुकूल भक्ति बताते हैं।
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में कहा गया है कि जो साधक है
शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं, जिससे कोई सुख प्राप्त नहीं होता
होता है, न आध्यात्मिक भक्ति की शक्ति अर्थात सिद्धि कार्य
#धरती_को_स्वर्ग_बनाना_है
श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में कहा है कि जो साधक
शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं, उनको न सुख प्राप्त
होता है, न आध्यात्मिक भक्ति की शक्ति यानि सिद्धि जिससे कार्य सिद्ध
होते हैं, प्राप्त होती है और न उनकी गति यानि मुक्ति होती है।
शास्त्र-आधारित भक्ति को त्यागकर मनमाना आचरण करने से तुम्हें कोई लाभ नहीं होगा।
#GodMorningSaturday
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Bandichhod SatGuru Rampal Ji Maharaj
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Sant Rampal Ji Maharaj
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 व 24 में कहा है कि जो मनुष्य शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण (अर्थात) भक्ति करते हैं उनको न तो कोई सुख होता है
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सनातन धर्म महान है
सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार हमें शास्त्रों के अनुसार अपनी भक्तिकर्म करने चाहिए प्रमाण के लिए देखें श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 व 24 में मनमाना आचरण करने को वर्जित किया है।
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गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख होता है ना कोई सिद्धि प्राप्त होती है तथा ना ही उनकी गति अर्थात मोक्ष होता है।
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Sant Rampal Ji Maharaj
सनातन धर्म महान है
सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार हमें शास्त्रों के अनुसार अपनी भक्तिकर्म करने चाहिए प्रमाण के लिए देखें श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 व 24 में मनमाना आचरण करने को वर्जित किया है।
#Gita_Is_Divine_Knowledge
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख होता है ना कोई सिद्धि प्राप्त होती है तथा ना ही उनकी गति अर्थात मोक्ष होता है।
अधिक जानने के लिए हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद,
#GodMorningTuesdsy
वेदों में प्रमाण है कि परमात्मा साकार है और से शरीर है उसका नाम कबीर वह शिशु रूप में कमल के फूल पर प्रकट होकर पूरा एक जीवन लीला में अभिनय करते हैं और हमें बताते हैं की सद्भक्ति और अच्छे आचरण से ही मोक्ष होता है
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गीता अध्याय 16, श्लोक 23
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि शास्त्र विधि को त्यागकर जो साधक मनमाना आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख होता है ना कोई सिद्धि प्राप्त होती है तथा ना ही उनकी गति अर्थात मोक्ष होता है
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#आओ_जानें_सनातन_को
Sant Rampal Ji Maharaj
सनातन धर्म क्या है ?
सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार हमें शास्त्रो के
अनुसार अपनी भक्ति कर्म करनी चाहिए
प्रमाण के लिए देखें श्री मद्भागवत गीता अध्याय
16 के श्लोक 23 व 24 में मनमाना आचरण
करने को वर्जित किया है।