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Nitin Thakur

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Sr. Asst. Editor @aajtakradio, Ex @CNBC_awaaz •Writer of #इतिइतिहास, #नफरतीचिंटू FB- https://t.co/TstdO17Jdt, विचार निजी & RTs not endorsement

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हाई वे पर लोग उन्हें रेस लगाकर पीछे छोड़ देते हैं जिन्हें बताया भी नहीं जाता कि रेस चल रही है।

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सुकरात इसलिए सबसे विद्वान था क्योंकि वो जानता था कि वो नहीं जानता, और ये बात उसने तब जानी जब उसने जानने का दावा करनेवालों से मुलाकात की. इन मुलाक़ातों से सुकरात ने जाना कि जानने का दावा करनेवाले कतई नहीं जानते और जब उसने सबको बताया कि जाननेवाले अनजान हैं तो कुपित लोगों ने उसे

सुकरात इसलिए सबसे विद्वान था क्योंकि वो जानता था कि वो नहीं जानता, और ये बात उसने तब जानी जब उसने जानने का दावा करनेवालों से मुलाकात की. इन मुलाक़ातों से सुकरात ने जाना कि जानने का दावा करनेवाले कतई नहीं जानते और जब उसने सबको बताया कि जाननेवाले अनजान हैं तो कुपित लोगों ने उसे
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एक बार आठ-दस साल का चार्ली चैप्लिन लंदन की दुपहरी में घर के बाहर खड़ा था. बस यूं ही गली की हलचल देख टाइमपास कर रहा था. तभी उसने देखा कि एक आदमी छोटे से मेमने को पकड़े हुए गली से गुज़र रहा है. गली के सिरे पर एक कसाईखाना था.

अचानक ही मेमना उस आदमी की पकड़ से छूट गया और जान बचाने

एक बार आठ-दस साल का चार्ली चैप्लिन लंदन की दुपहरी में घर के बाहर खड़ा था. बस यूं ही गली की हलचल देख टाइमपास कर रहा था. तभी उसने देखा कि एक आदमी छोटे से मेमने को पकड़े हुए गली से गुज़र रहा है. गली के सिरे पर एक कसाईखाना था. अचानक ही मेमना उस आदमी की पकड़ से छूट गया और जान बचाने
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नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से कन्हैया कुमार कांग्रेस उम्मीदवार हैं। सामने मनोज तिवारी हैं। बिहारी भाइयों के मज़े ही मज़े!! 😁

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ख़राब कंटेंट के लिए गालियां देना आसान है लेकिन आपके सामने ढंग का कंटेंट आ जाए तो देखने-सुनने लायक धैर्य जुटा पाते हैं? अगर आपमें उतना धीरज भी नहीं तो जो पहले उपलब्ध हो जाए उसे देखकर कोसिए, मगर कुछ लोग हैं जिन्होंने पॉडकास्ट की दुनिया को खोज लिया है। उन्हें बधाई और शुक्रिया।

ख़राब कंटेंट के लिए गालियां देना आसान है लेकिन आपके सामने ढंग का कंटेंट आ जाए तो देखने-सुनने लायक धैर्य जुटा पाते हैं? अगर आपमें उतना धीरज भी नहीं तो जो पहले उपलब्ध हो जाए उसे देखकर कोसिए, मगर कुछ लोग हैं जिन्होंने पॉडकास्ट की दुनिया को खोज लिया है। उन्हें बधाई और शुक्रिया।
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मुश्किल से मुश्किल दिन जब मुझ पर गुज़रे तो निर्मल वर्मा की एक कहानी की इन लाइनों को पढ़ लेता था. खासकर आखिरी डेढ़ लाइनें तो मंत्र हैं.

हम ट्राम से उतर गए हैं। बीच में अंधेरी गली है। पास ही एक छोटा सा नाला है, जिसके दोनों ओर नए बनते मकानों का मलबा पड़ा है। गली के नुक्कड़ पर एक

मुश्किल से मुश्किल दिन जब मुझ पर गुज़रे तो निर्मल वर्मा की एक कहानी की इन लाइनों को पढ़ लेता था. खासकर आखिरी डेढ़ लाइनें तो मंत्र हैं. हम ट्राम से उतर गए हैं। बीच में अंधेरी गली है। पास ही एक छोटा सा नाला है, जिसके दोनों ओर नए बनते मकानों का मलबा पड़ा है। गली के नुक्कड़ पर एक
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