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मैंने ज़िन्दगी से इश्क़ किया था
पर ज़िन्दगी एक वेश्या की तरह
मेरे इश्क़ पर हँसती रही

-अमृता प्रीतम
-पुस्तक 'अमृता प्रीतम : चुनी हुई कविताएँ’ से

ChuneeHuiKavitayen

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दो सत्य तो उनके होंगे
जिन्होंने सत्य देखा ही नहीं
हमने तो दीवारों से भी दोस्ती की है
हमने तो कलियों से भी नैन लड़ाए हैं।

- मनोहर श्याम जोशी
पुस्तक ‘कूर्मांचली की कविताएँ’ से

भारतीय सोप ओपेरा के जनक मनोहर श्याम जोशी की पुण्यतिथि पर सादर नमन!

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सितम्बर का महीना और इतना ताप ! कभी-कभी उमस इतनी बढ़ जाती कि आकाश की जगह सिर्फ़ पीली छत दिखाई देती-धूल की छत-जिन्हें सिर्फ़ शहर की चीलें ही काट पाती थीं।

~निर्मल वर्मा
'रात का रिपोर्टर' पुस्तक से

पुस्तक का लिंक कमेंट बॉक्स पर उपलब्ध है👇

#वाणीकालजयी

सितम्बर का महीना और इतना ताप ! कभी-कभी उमस इतनी बढ़ जाती कि आकाश की जगह सिर्फ़ पीली छत दिखाई देती-धूल की छत-जिन्हें सिर्फ़ शहर की चीलें ही काट पाती थीं।

~निर्मल वर्मा
'रात का रिपोर्टर' पुस्तक से 

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 #Vani59 #VaniKaljayi
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मनुष्य बन्दी नहीं है, वह स्वयं अपने को बन्दी बनाता है।

-नामवर सिंह
'पन्नों पर कुछ दिन'
सम्पादक : विजय प्रकाश सिंह

मनुष्य बन्दी नहीं है, वह स्वयं अपने को बन्दी बनाता है।

-नामवर सिंह
'पन्नों पर कुछ दिन'
सम्पादक : विजय प्रकाश सिंह

#Vani59 #PannonParKuchDin #NamwarSingh #vanikaljayi #VaniAuthor #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव
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तर्क से यदि प्रेम टूटता हो, तो कभी किसी का प्रेम ही नहीं हुआ होता।

-हरिशंकर परसाई
‘तट की खोज’ पुस्तक से

तर्क से यदि प्रेम टूटता हो, तो कभी किसी का प्रेम ही नहीं हुआ होता।

-हरिशंकर परसाई
‘तट की खोज’ पुस्तक से

#Vani61 #TatKiKhoj #VaniKaljayi #HarishankarParsai #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव
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जिनसे हम प्रेम करना छोड़ देते हैं
वे चीज़ें हमें छोड़कर चली जाती हैं
या अपनी ही जगह ओझल होने लगती हैं।

-मंगलेश डबराल
'मुझे दिखा एक मनुष्य'

प्रख्यात कवि व आलोचक मंगलेश डबराल की पुण्यतिथि पर सादर नमन!

#पुण्यतिथि 

जिनसे हम प्रेम करना छोड़ देते हैं
वे चीज़ें हमें छोड़कर चली जाती हैं 
या अपनी ही जगह ओझल होने लगती हैं।

-मंगलेश डबराल
'मुझे दिखा एक मनुष्य'

प्रख्यात कवि व आलोचक मंगलेश डबराल की पुण्यतिथि पर सादर नमन!

#Vani59 #vanikaljayi #MangaleshDabral #VaniAuthor #ReadWithVani
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