मैंने ज़िन्दगी से इश्क़ किया था
पर ज़िन्दगी एक वेश्या की तरह
मेरे इश्क़ पर हँसती रही
-अमृता प्रीतम
-पुस्तक 'अमृता प्रीतम : चुनी हुई कविताएँ’ से
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#पुण्यतिथि
दो सत्य तो उनके होंगे
जिन्होंने सत्य देखा ही नहीं
हमने तो दीवारों से भी दोस्ती की है
हमने तो कलियों से भी नैन लड़ाए हैं।
- मनोहर श्याम जोशी
पुस्तक ‘कूर्मांचली की कविताएँ’ से
भारतीय सोप ओपेरा के जनक मनोहर श्याम जोशी की पुण्यतिथि पर सादर नमन!
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#वाणीकालजयी
सितम्बर का महीना और इतना ताप ! कभी-कभी उमस इतनी बढ़ जाती कि आकाश की जगह सिर्फ़ पीली छत दिखाई देती-धूल की छत-जिन्हें सिर्फ़ शहर की चीलें ही काट पाती थीं।
~निर्मल वर्मा
'रात का रिपोर्टर' पुस्तक से
पुस्तक का लिंक कमेंट बॉक्स पर उपलब्ध है👇
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मनुष्य बन्दी नहीं है, वह स्वयं अपने को बन्दी बनाता है।
-नामवर सिंह
'पन्नों पर कुछ दिन'
सम्पादक : विजय प्रकाश सिंह
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तर्क से यदि प्रेम टूटता हो, तो कभी किसी का प्रेम ही नहीं हुआ होता।
-हरिशंकर परसाई
‘तट की खोज’ पुस्तक से
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#पुण्यतिथि
जिनसे हम प्रेम करना छोड़ देते हैं
वे चीज़ें हमें छोड़कर चली जाती हैं
या अपनी ही जगह ओझल होने लगती हैं।
-मंगलेश डबराल
'मुझे दिखा एक मनुष्य'
प्रख्यात कवि व आलोचक मंगलेश डबराल की पुण्यतिथि पर सादर नमन!
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