शहर हैं, रोज जंगल खा रहे हैं।
हां खुश हैं गांव भी इतरा रहे हैं।
मिट्टी मिट्टी नहीं जहर है कोई,
ऐड साबुन के ये समझा रहे हैं।
Deep Anjum
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