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का हिन्दी अर्थ
जो हरे पेड़-पौधों से भरा हुआ हो, जो सूखा या मुरझाया न हो, मरुस्थल में स्थित छोटा सजल उपजाऊ स्थान।

प्रस्तुति: अलका सिन्हा (उद्घोषिका एवं लेखिका)

सौजन्य: कविताई सिंगापुर
द्वारा यूट्यूब लिंक👇
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लेखनी(@Lekhni_) 's Twitter Profile Photo

ऐसे ख़ामोश वक़्त में
मन की कच्ची ज़मीन पर
काव्यात्मक रिश्ते की गुहार लगाते
अबोध कचनार को
कैसे ठुकरा दूँ
यों तो कहानियों-उपन्यासों में भेंट हुई है
इस किरदार से


की हार्दिक शुभकामनाएं💐
_कृति ✍️ ✍️

ऐसे ख़ामोश वक़्त में
मन की कच्ची ज़मीन पर
काव्यात्मक रिश्ते की गुहार लगाते
अबोध कचनार को
कैसे ठुकरा दूँ
यों तो कहानियों-उपन्यासों में भेंट हुई है
इस किरदार से

#अलका_सिन्हा
#जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं💐
#काव्य_कृति✍️ #काव्य✍️
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वृक्ष ने आवेश में भर लिया
पत्तियों को
अपनी बलिष्ठ बाँहों में बेतरह !

पत्तियाँ लजाईं, सकुचाईं
और हो गईं – गुलमोहर !


💐

वृक्ष ने आवेश में भर लिया
पत्तियों को
अपनी बलिष्ठ बाँहों में बेतरह !

पत्तियाँ लजाईं, सकुचाईं
और हो गईं – गुलमोहर !

#अलका_सिन्हा
#जन्मदिन 💐
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लेखनी(@Lekhni_) 's Twitter Profile Photo

ज़िन्दगी को जिया मैंने
इतना चौकस होकर
जैसे कि नींद में भी रहती है सजग
चढ़ती उम्र की लड़की
कि कहीं उसके पैरों से
चादर न उघड़ जाए !


💐   ✍️

ज़िन्दगी को जिया मैंने
इतना चौकस होकर
जैसे कि नींद में भी रहती है सजग
चढ़ती उम्र की लड़की
कि कहीं उसके पैरों से
चादर न उघड़ जाए !

#अलका_सिन्हा
#जन्मदिन 💐   #लेखनी✍️
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कितना अप्राकृतिक लगता है
आज के समय में
कचनार पर कविता लिखना !

दौड़ती-भागती ज़िंदगी के बीच
अल्प- , अर्द्ध-विराम की तरह
सड़क के किनारे आ खड़े होते हैं
कितने ही ऊँचे, घने, हरे-भरे फूलों वाले
या फिर
बिना पत्तियों के सिर्फ़ डालीदार पेड़..!!

~ अलका सिन्हा
✍️

कितना अप्राकृतिक लगता है
आज के समय में
कचनार पर कविता लिखना !

दौड़ती-भागती ज़िंदगी के बीच
अल्प-#विराम, अर्द्ध-विराम की तरह
सड़क के किनारे आ खड़े होते हैं
कितने ही ऊँचे, घने, हरे-भरे फूलों वाले
या फिर
बिना पत्तियों के सिर्फ़ डालीदार पेड़..!!

~ अलका सिन्हा
#विराम  #लेखनी ✍️
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वृक्ष ने आवेश में भर लिया
पत्तियों को
अपनी बलिष्ठ बाँहों में बेतरह !

पत्तियाँ लजाईं, सकुचाईं
और हो गईं – गुलमोहर !


💐   ✍️

वृक्ष ने आवेश में भर लिया
पत्तियों को
अपनी बलिष्ठ बाँहों में बेतरह !

पत्तियाँ लजाईं, सकुचाईं
और हो गईं – गुलमोहर !

#अलका_सिन्हा
#जन्मदिन 💐   #लेखनी✍️
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छोटी कविता(@iTanwirr) 's Twitter Profile Photo

'खोल दो पट्टी अपनी आंखों से गांधारी
विश्वास मानो इसके बाद भी
तुम उतनी ही पतिव्रता रहोगी
तुम्हारे धर्म पर आंच भी न आएगी
आखिर हम भी तो बगैर पट्टी बांधे ही
निभाए जा रहे हैं अपना-अपना धर्म
धृतराष्ट्री सत्ता से...'

◆ अलका सिन्हा

'खोल दो पट्टी अपनी आंखों से गांधारी
विश्वास मानो इसके बाद भी
तुम उतनी ही पतिव्रता रहोगी
तुम्हारे धर्म पर आंच भी न आएगी
आखिर हम भी तो बगैर पट्टी बांधे ही
निभाए जा रहे हैं अपना-अपना धर्म
धृतराष्ट्री सत्ता से...'

◆ अलका सिन्हा
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मैं काग़ज़ की देह पर
गोदने की तरह उभर आना चाहती हूँ
और यह बता देना चाहती हूँ
कि काग़ज़ की संगमरमरी देह पर लिखी
शब्दों की इबारत
ताजमहल से बढ़कर ख़ूबसूरत होती है..!!


की हार्दिक शुभकामनाएं💐
✍️

मैं काग़ज़ की देह पर
गोदने की तरह उभर आना चाहती हूँ
और यह बता देना चाहती हूँ
कि काग़ज़ की संगमरमरी देह पर लिखी
शब्दों की इबारत
ताजमहल से बढ़कर ख़ूबसूरत होती है..!!

#अलका_सिन्हा 
#जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं💐
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NCUI(@ncuicoop) 's Twitter Profile Photo

28.09.2022 को हिंदी दिवस, पखवाड़ा समापन समारोह और कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया ! मुख्य अतिथि सुश्री अलका सिन्हा ने सारगर्भित विचारों से लाभान्वित किया! मुख्य कार्यकारी और उप मुख्य कार्यकारी महोदया ने संबोधन में हिन्दी में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया !

28.09.2022 को हिंदी दिवस, पखवाड़ा समापन समारोह और  कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया ! मुख्य अतिथि सुश्री अलका सिन्हा ने सारगर्भित विचारों से लाभान्वित किया! मुख्य कार्यकारी और उप मुख्य कार्यकारी महोदया ने संबोधन में हिन्दी में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया !
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Arti Singh(@ParmarA03) 's Twitter Profile Photo

मेरी तमाम परेशानियों, नाकामियों के विष को
कंठस्थ कर लेने वाली नीलकंठ क़लम
मुझे रचने का सौंदर्य दे
कि मैं स्याही से लिख सकूँ
उजली के सफ़ेद अक्षर ।

मुझे जज़्ब कर हे कलम !
मैं तेरी रोशनाई होना चाहती हूँ..!!

~ अलका सिन्हा
🌍 ✍️

मेरी तमाम परेशानियों, नाकामियों के विष को
कंठस्थ कर लेने वाली नीलकंठ क़लम
मुझे रचने का सौंदर्य दे
कि मैं स्याही से लिख सकूँ
उजली #दुनिया के सफ़ेद अक्षर ।

मुझे जज़्ब कर हे कलम !
मैं तेरी रोशनाई होना चाहती हूँ..!!

~ अलका सिन्हा
#संसार🌍  #लेखनी✍️
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sunita panwar(@_sunitapanwar) 's Twitter Profile Photo

सोचती हूं
क्यों न हम थोड़ा-थोड़ा-सा बदल जाएं
बांट लें एक दूसरे को
वैसे भी प्रिय
एक रथ के ही हम पहिये हैं दो
आओ मिल कर साथ चलें..!
-- अल्का सिन्हा

🙏💐

सोचती हूं 
क्यों न हम थोड़ा-थोड़ा-सा बदल जाएं
बांट लें एक दूसरे को
वैसे भी प्रिय 
एक रथ के ही हम पहिये हैं दो
आओ मिल कर साथ चलें..!
-- अल्का सिन्हा
#महिलादिवस
🙏💐
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अभिषेक कुमार🎯(@Poet_Abhi) 's Twitter Profile Photo

ज़िन्दगी को जिया मैंने
इतना चौकस होकर
जैसे कि नींद में भी रहती है सजग
चढ़ती उम्र की लड़की
कि कहीं उसके पैरों से
चादर न उघड़ जाए !!💦


✍️

ज़िन्दगी को जिया मैंने
इतना चौकस होकर
जैसे कि नींद में भी रहती है सजग
चढ़ती उम्र की लड़की
कि कहीं उसके पैरों से
चादर न उघड़ जाए !!💦

#अलका_सिन्हा
#काव्य_कृति✍️
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Anita Shukla(@anitashukla37) 's Twitter Profile Photo

अंर्तराष्ट्रीय वातायन पुरस्कार से सम्मानित अलका सिन्हा जी की सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें जी-मेल एक्सप्रेस बहुत चर्चित है
साथ में हैं भारत गौरव सम्मान से सम्मानित श्रीमतीवीणा अग्रवालजी इनकी पुस्तक 'नन्हीकाव्या' को दिल्ली105लाइब्रेरी के लिए चुना गया है
धन्यवाद ईश्वर

अंर्तराष्ट्रीय वातायन पुरस्कार से सम्मानित अलका सिन्हा जी की सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें जी-मेल एक्सप्रेस बहुत चर्चित है 
साथ में हैं भारत गौरव सम्मान से सम्मानित श्रीमतीवीणा अग्रवालजी इनकी पुस्तक 'नन्हीकाव्या' को दिल्ली105लाइब्रेरी के लिए चुना गया है
धन्यवाद ईश्वर
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News18 India(@News18India) 's Twitter Profile Photo

हिंदी की प्रसिद्ध कवि और कथाकार अलका सिन्हा की हिंदी दिवस पर कविता. अलका सिन्हा ने यह कविता विशेष रूप से News18 के लिए तैयार की है.

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@काव्य_रस(@Kavya_Ras) 's Twitter Profile Photo

क्या बतलाऊं कितना भाया मिट्टी मे मिलना मुझको
डटकर लड़ना अंधियारे से,दीपकसा जलना मुझको
रौंदा,गूंदा मिट्टी का तन और चाक पर चढ़ा दिया
थपकी दे-दे सुगढ़ बनाया,चकरी जैसा घुमा दिया
रही सुलगती मेरी भी लौ,तेज हवा से खूब ठनी।
मन के भीतर हुआ उजाला,दीवाली तब खूब मनी।

-अलका सिन्हा
(फेसबुकसे)

क्या बतलाऊं कितना भाया मिट्टी मे मिलना मुझको
डटकर लड़ना अंधियारे से,दीपकसा जलना मुझको
रौंदा,गूंदा मिट्टी का तन और चाक पर चढ़ा दिया
थपकी दे-दे सुगढ़ बनाया,चकरी जैसा घुमा दिया
रही सुलगती मेरी भी लौ,तेज हवा से खूब ठनी।
मन के भीतर हुआ उजाला,दीवाली तब खूब मनी।

-अलका सिन्हा
(फेसबुकसे)
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ज़िन्दगी को जिया मैने
इतना चौकस होकर
जैसे कि नीद में भी रहती है सजग
चढ़ती उम्र की लड़की
कि कहीं उसके पैरों से
चादर न उघड़ जाए!

~अलका सिन्हा

अंर्तराष्ट्रीय वातायन पुरस्कार;संग्रह
काल की कोख से,मैं ही तो हूँ ये(कविता);
‘सुरक्षित पंखों की उड़ान’,‘मुझसे कैसा
नेह’(कहानी),खाली कुरसी।

ज़िन्दगी को जिया मैने
इतना चौकस होकर
जैसे कि नीद में भी रहती है सजग
चढ़ती उम्र की लड़की
कि कहीं उसके पैरों से
चादर न उघड़ जाए!

~अलका सिन्हा

अंर्तराष्ट्रीय वातायन पुरस्कार;संग्रह
काल की कोख से,मैं ही तो हूँ ये(कविता);
‘सुरक्षित पंखों की उड़ान’,‘मुझसे कैसा
नेह’(कहानी),खाली कुरसी।
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