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सूरज के नए टुकड़ों की
जागृत करनी होगी बोधगम्यता !
महकेगा वातास छिटकेंगी ज्ञान रश्मियाँ,
मिट जाएँगी आप ही आप आपस की दूरियाँ।

तो आओ! अभी से
हाँ ! अभी से.......
इस नए पथ की ओर!

कहा भी गया है-जब आँख खुले
तभी होती है भोर..!!

~ जगदीश व्योम
🌄
✍️

सूरज के नए टुकड़ों की
जागृत करनी होगी बोधगम्यता !
महकेगा वातास छिटकेंगी ज्ञान रश्मियाँ,
मिट जाएँगी आप ही आप आपस की दूरियाँ।

तो आओ! अभी से
हाँ ! अभी से.......
इस नए पथ की ओर!

कहा भी गया है-जब आँख खुले
तभी होती है भोर..!!

~ जगदीश व्योम
#सुहानी_भोर🌄
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बादलों की तरह
उड़कर
जाओगे पहाड़ तक

तो
नदी की तरह
उतार देंगे पहाड़
हाथों में मुट्ठी भर रेत थमा कर !

(अमरेंद्र कुमार)
💐 ✍️
कुमार मुकुल

बादलों की तरह 
उड़कर 
जाओगे पहाड़ तक 

तो 
नदी की तरह 
उतार देंगे पहाड़ 
हाथों में मुट्ठी भर रेत थमा कर !

#कुमार_मुकुल (अमरेंद्र कुमार)
#जन्मदिन 💐 #लेखनी✍️
@KumarMukul15
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जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा !

~ केदारनाथ अग्रवाल
🛠️ ✍️

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा !

~ केदारनाथ अग्रवाल 
#श्रमिक_दिवस 🛠️  #लेखनी ✍️
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Arti Singh आरती सिंह 🕊️ कुमार मुकुल Narpati C Pareek 🇮🇳 Archana Sharma Shweta Jha (मोदी जी का परिवार) Margret. Arun Tripathi Alok Ranjan Srivastav Yasmeen khan🌸 Geeta Natha सन्तोष 'एहसास' #(मोदी जी का परिवार) Kuldip Mengi sirOne. मधूलिका सिंह Malti Vishwakarma पूजा✨ अमित🇮🇳 Vinesh Gaba( मोदी का परिवार ) Kanhaiyalal arora 🇮🇳 Sunita Yadav Arvind Kr Yadav विजय नगरकर Vijay Nagarkar Manoj Kanaujia Baaten साहित्य की Dhirendra Mishra Peetamber meena former Crpf जिगर के दर्द से अपने
दिये जो हमने बाले हैं
उसी से तीरगी है यह
उसी से यह उजाले हैं..!!

(कवि, पत्रकार, होम्योपैथ, समीक्षक, मूल नाम: अमरेंद्र कुमार)
जन्म: 2 मई, 1966, तीर्थकौल, भोजपुर, बिहार।
की हार्दिक शुभकामनाएं💐
✍️

@ParmarA03 @AarTee33 @KumarMukul15 @pareeknc7 @ArchanaVed @ShwetaJha01 @margret_017 @tripathiarun123 @alokrsrivastav @Yasmeen80859727 @NathaGeeta @Sksio3 @MengiKuldip @kssirone @madhuleka @MaltiVishwaka12 @DrPujaJha @kr0271amit @VineshGaba @88kanhaiyalal @arorafbd @Syadav02 @Arvindhse2 @vipranagarkar @mkanoujia78 @vds31175 @dhirendra0612 @PeetamberC जिगर के दर्द से अपने
दिये जो हमने बाले हैं
उसी से तीरगी है यह
उसी से यह उजाले हैं..!!
 
#कुमार_मुकुल (कवि, पत्रकार, होम्योपैथ, समीक्षक, मूल नाम: अमरेंद्र कुमार)
जन्म: 2 मई, 1966, तीर्थकौल, भोजपुर, बिहार।
#जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं💐
#लेखनी ✍️
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निकल रहा है जलनिधि तल पर दिनकर बिम्ब अधूरा,
कमला के कंचन मंदिर का मानों कांत कंगूरा।

लाने को निज पुण्यभूमि पर लक्ष्मी की असवारी,
रत्नाकर ने निर्मित कर दी स्वर्ण-सड़क अति प्यारी।

~ रामनरेश त्रिपाठी
🌄
✍️

निकल रहा है जलनिधि तल पर दिनकर बिम्ब अधूरा,
कमला के कंचन मंदिर का मानों कांत कंगूरा।

लाने को निज पुण्यभूमि पर लक्ष्मी की असवारी,
रत्नाकर ने निर्मित कर दी स्वर्ण-सड़क अति प्यारी।

~ रामनरेश त्रिपाठी
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️
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स्वर्ग की सुख-शान्ति है आराम में,
किन्तु, पृथ्वी की अहर्निश काम में।

सुख क्या है, पूछ श्रम-निरत किसान से;
पूछता है बात क्या तू बाबू-बबुआन से?

~ रामधारी सिंह 'दिनकर'
🛠️ ✍️

स्वर्ग की सुख-शान्ति है आराम में,
किन्तु, पृथ्वी की अहर्निश काम में।

सुख क्या है, पूछ श्रम-निरत किसान से;
पूछता है बात क्या तू बाबू-बबुआन से?

~ रामधारी सिंह 'दिनकर' 
#श्रमिक_दिवस 🛠️  #लेखनी ✍️
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क्षीण कितना शब्द का !

मौन तुम थीं, मौन मैं था, मौन जग था,
तुम अलग थीं और मैं तुमसे अलग था,
जोड़-से हमको गये थे शब्द के कुछ तार।
क्षीण कितना शब्द का आधार !

~ हरिवंशराय बच्चन
✍️

क्षीण कितना शब्द का #आधार !

मौन तुम थीं, मौन मैं था, मौन जग था,
तुम अलग थीं और मैं तुमसे अलग था,
जोड़-से हमको गये थे शब्द के कुछ तार।
क्षीण कितना शब्द का आधार !

~ हरिवंशराय बच्चन 
#आधार  #लेखनी ✍️
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नज़र के सामने सत्कार बढ़िया
पलटकर ठीक पीछे वार बढ़िया

वो लय-ही-लय में मारे डालती है
कथक के की तत्कार बढ़िया !

~ राम मेश्राम
💃
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नज़र के सामने सत्कार बढ़िया
पलटकर ठीक पीछे वार बढ़िया

वो लय-ही-लय में मारे डालती है
कथक के #रक्स की तत्कार बढ़िया !

~ राम मेश्राम
#अंतर्राष्ट्रीय_नृत्य_दिवस 💃
#लेखनी ✍️
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जीवन की कला है, नृत्य अनुराग है मन का,
नृत्य है प्रेम ईश्वर का, नृत्य है भाव इस तन का।

मन को उन्माद से भर के, करो अल्हाद में तुम कृत्य,
नृत्य करता है दिल पावन, नृत्य आनन्द जीवन का !

~ वंदना नामदेव
💃
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#नृत्य जीवन की कला है, नृत्य अनुराग है मन का,
नृत्य है प्रेम ईश्वर का, नृत्य है भाव इस तन का।

मन को उन्माद से भर के, करो अल्हाद में तुम कृत्य,
नृत्य करता है दिल पावन, नृत्य आनन्द जीवन का !

~ वंदना नामदेव
#अंतर्राष्ट्रीय_नृत्य_दिवस 💃
#लेखनी ✍️
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आरती सिंह 🕊️(@AarTee33) 's Twitter Profile Photo

#काव्य_कृति✍️ : कथक में लय के साथ पैरों को चलाने को तत्कार कहा जाता है। भारी घुंघरुओं को पैरों में बांध इस तरह के पद संचालन से पैरों की कमजोर मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
💃
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@KavyaKriti_ #तत्कार : कथक में लय के साथ पैरों को चलाने को तत्कार कहा जाता है। भारी घुंघरुओं को पैरों में बांध इस तरह के पद संचालन से पैरों की कमजोर मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। 
#अंतर्राष्ट्रीय_नृत्य_दिवस 💃
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एक किरण आई छाई,
दुनिया में ज्योति निराली
रंगी सुनहरे रंग में
पत्ती-पत्ती डाली डाली !

एक किरण आई लाई,
पूरब में सुखद सवेरा
हुई दिशाएं लाल
लाल हो गया धरा का घेरा !

~ सोहनलाल द्विवेदी
🌄
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एक किरण आई छाई,
दुनिया में ज्योति निराली
रंगी सुनहरे रंग में
पत्ती-पत्ती डाली डाली !

एक किरण आई लाई,
पूरब में सुखद सवेरा
हुई दिशाएं लाल
लाल हो गया धरा का घेरा !

~ सोहनलाल द्विवेदी
#सुहानी_भोर 🌄
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स्वप्न भी , जागरण भी!

भूत केवल जल्पना है,
औ’ भविष्यत कल्पना है,
वर्तमान लकीर भ्रम की !
और है चौथी शरण भी!
स्वप्न भी छल, जागरण भी !

~ हरिवंशराय बच्चन
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स्वप्न भी #छल, जागरण भी!

भूत केवल जल्पना है,
औ’ भविष्यत कल्पना है,
वर्तमान लकीर भ्रम की !
और है चौथी शरण भी!
स्वप्न भी छल, जागरण भी !

~ हरिवंशराय बच्चन 
#छल  #लेखनी ✍️
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तर्कों के तीरों की कमी नहीं तरकस में,
के प्रयोगों की खुली छूट वाले हैं,
छोटी सी बात बड़ी दूर तलक खींचते,
राई का पहाड़ पल भर में बना डाले हैं!

~ प्रतिभा सक्सेना
✍️

तर्कों के तीरों की कमी नहीं तरकस में,
#बुद्धि के प्रयोगों की खुली छूट वाले हैं,
छोटी सी बात बड़ी दूर तलक खींचते,
राई का पहाड़ पल भर में बना डाले हैं!

~ प्रतिभा सक्सेना
#बुद्धि  #लेखनी ✍️
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मधुर मलयानिल महक की मौज में मदमत्त है,
लता-ललिता से लिपटकर ही महान प्रमत्त है ।

सौरभित सरसिज युगल एकत्र होकर खिल गये,
लोल अलकावलि हुई मानो मधुव्रत मिल गये !

~ जयशंकर प्रसाद
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मधुर मलयानिल महक की मौज में मदमत्त है, 
लता-ललिता से लिपटकर ही महान प्रमत्त है ।

सौरभित सरसिज युगल एकत्र होकर खिल गये,
लोल अलकावलि हुई मानो मधुव्रत मिल गये !

~ जयशंकर प्रसाद
#सुहानी_भोर 🌄
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हिमालय रजत-कोष ले खड़ा
हिन्द-सागर ले खड़ा प्रवाल,
देश के दरवाजे पर रोज
खड़ी होती ऊषा ले माल !

कि जानें तुम आओ किस रोज
बजाते नूतन रुद्र-विषाण,
किरण के रथ पर हो आसीन
लिये मुट्ठी में स्वर्ण-विहान !

~ रामधारी सिंह 'दिनकर'
🌄
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हिमालय रजत-कोष ले खड़ा
हिन्द-सागर ले खड़ा प्रवाल,
देश के दरवाजे पर रोज
खड़ी होती ऊषा ले माल !

कि जानें तुम आओ किस रोज
बजाते नूतन रुद्र-विषाण,
किरण के रथ पर हो आसीन
लिये मुट्ठी में स्वर्ण-विहान !

~ रामधारी सिंह 'दिनकर'
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उगे अरुणाचल में रवि
आयी भारती-रति कवि-कण्ठ में,
क्षण-क्षण में परिवर्तित
होते रहे प्रृकति-पट,
गया दिन, आयी रात,
गयी रात, खुला दिन
ऐसे ही संसार के बीते दिन, पक्ष, मास,
वर्ष कितने ही हजार-
जागो फिर एक बार !

~ निराला
🌄
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उगे अरुणाचल में रवि
आयी भारती-रति कवि-कण्ठ में,
क्षण-क्षण में परिवर्तित
होते रहे प्रृकति-पट,
गया दिन, आयी रात,
गयी रात, खुला दिन
ऐसे ही संसार के बीते दिन, पक्ष, मास,
वर्ष कितने ही हजार-
जागो फिर एक बार !

~ निराला
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सच्चाई की पहचान कि पानी साफ़ रहे,
जो भी चाहे ले परख जलाशय के तल को,
गहराई का भेद छिपाते वे केवल,
जो जान-बूझकर गंदला करते अपने जल को !

'दिनकर'
✍️

सच्चाई की पहचान कि पानी साफ़ रहे,
जो भी चाहे ले परख जलाशय के तल को,
गहराई का भेद छिपाते वे केवल,
जो जान-बूझकर गंदला करते अपने जल को !

#रामधारी_सिंह 'दिनकर'
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कुछ किताबें अंधेरे में चमकती हैं रास्ता देती हुई,
तो कुछ कड़ी धूप में कर देती हैं छाँह!

कुछ एकांत की उदासी को भर देती हैं
दोस्ती की उजास से,
तो कुछ जगा देती हैं आँख खुली नींद से
जिसमें नहीं सुनाई पड़ता अपना ही रुदन..!!

~अरुण देव
📚
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कुछ किताबें अंधेरे में चमकती हैं रास्ता देती हुई,
तो कुछ कड़ी धूप में कर देती हैं छाँह!

कुछ एकांत की उदासी को भर देती हैं
दोस्ती की उजास से,
तो कुछ जगा देती हैं आँख खुली नींद से
जिसमें नहीं सुनाई पड़ता अपना ही रुदन..!!

~अरुण देव 
#विश्व_पुस्तक_दिवस 📚
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