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जानिये...

TED Talks की लोकप्रिय परिचर्चा पर आधारित ‘ताज़ी हवा कैसे उगाएँ’ - कमल मीयत्तल, बरुन अग्गरवाल

‘ताज़ी हवा कैसे उगाएँ’ - ताज़ी हवा हमें बेहतर सोचने और होशियार बनने में मदद करती है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात, यह हमें स्वस्थ बच्चों की

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किसी पेड़ को चुपचाप देखना
उससे अपना सब कुछ कह देना है
और किसी पेड़ से लिपटना
अपने आप से गले लगना है।

-सुधीर आज़ाद
‘किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना’

Vineeta Parmar sanjay kushwaha Abhay Mishra Ankita Jain kamal meattle Harivansh S.R.Harnot(एस.आर.हरनोट) Dr. Sudhir Aazad

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विश्व वन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

वाणी प्रकाशन ग्रुप के उपक्रम ‘वाणी पृथ्वी’ से प्रकाशित वन्य जीवन पर आधारित चर्चित पुस्तकें यहाँ प्राप्त करें :- vaniprakashan.com
अधिक जानकारी के लिए हमें व्हाट्सअप या ईमेल करें: +91 9643331304, फोन नं. 011-

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'गोडावण : मोरे अँगना की सोन चिरैया’ - कबीर संजय

क्यों भारत के सबसे बड़े पक्षियों में शामिल गोडावण को विलुप्ति के कगार पर पहुँचना पड़ा? आख़िर उसकी जीवन-यात्रा किन राहों से गुज़री है, जो संकट की खाई के किनारे आकर खड़ी हो गयी है? इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है? किसने

#वाणीपृथ्वी 

'गोडावण : मोरे अँगना की सोन चिरैया’ - कबीर संजय

क्यों भारत के सबसे बड़े पक्षियों में शामिल गोडावण को विलुप्ति के कगार पर पहुँचना पड़ा? आख़िर उसकी जीवन-यात्रा किन राहों से गुज़री है, जो संकट की खाई के किनारे आकर खड़ी हो गयी है? इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है? किसने
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“ज़ुल्म की दास्तान”

‘डाउन टू अर्थ’ पत्रिका में वाणी प्रकाशन ग्रुप के उपक्रम ‘वाणी पृथ्वी’ से प्रकाशित पत्रकार व लेखक कबीर संजय की नयी पुस्तक ‘ओरांग उटान : अनाथ, बेघर और सेक्स ग़ुलाम’ पर आलोचक राजू सजवान द्वारा लिखित सुचिन्तित समीक्षा।

आप भी पढ़िये और अपनी

#वाणीपृथ्वी

“ज़ुल्म की दास्तान”

‘डाउन टू अर्थ’ पत्रिका में वाणी प्रकाशन ग्रुप के उपक्रम ‘वाणी पृथ्वी’ से प्रकाशित पत्रकार व लेखक कबीर संजय की नयी पुस्तक ‘ओरांग उटान : अनाथ, बेघर और सेक्स ग़ुलाम’ पर आलोचक राजू सजवान द्वारा लिखित सुचिन्तित समीक्षा।

आप भी पढ़िये और अपनी
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पर्यावरण दर्शन का आधार मृत्यु का निरोध है, अमानवीयता का विरोध है। वह दर्शन सैंकत के कण-कण में विश्व को देखने की शिक्षा देता है, फूल में स्वर्ग देखने की कला सिखाता है। प्राकृतिक शक्तियों को सम्प्रीत करने का मतलब यही है कि प्रकृति के ऊपर हस्तक्षेप या अतिक्रमण न करके

#वाणीपृथ्वी

पर्यावरण दर्शन का आधार मृत्यु का निरोध है, अमानवीयता का विरोध है। वह दर्शन सैंकत के कण-कण में विश्व को देखने की शिक्षा देता है, फूल में स्वर्ग देखने की कला सिखाता है। प्राकृतिक शक्तियों को सम्प्रीत करने का मतलब यही है कि प्रकृति के ऊपर हस्तक्षेप या अतिक्रमण न करके
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बीज बचाओ आन्दोलन ने जंगल, चरागाह, नदी और खेती का अन्तः सम्बन्ध समग्रता में समझने और समझाने का प्रयास किया। पारिस्थितिकी का एक पक्ष कैसे दूसरे से जुड़ा है और कैसे इस नाज़ुक अन्तःसम्बन्ध को बनाये रखना ज़रूरी है, इसकी सीख इस आन्दोलन ने दी।

~शेखर पाठक
'हरी भरी उम्मीद'

#वाणीपृथ्वी

बीज बचाओ आन्दोलन ने जंगल, चरागाह, नदी और खेती का अन्तः सम्बन्ध समग्रता में समझने और समझाने का प्रयास किया। पारिस्थितिकी का एक पक्ष कैसे दूसरे से जुड़ा है और कैसे इस नाज़ुक अन्तःसम्बन्ध को बनाये रखना ज़रूरी है, इसकी सीख इस आन्दोलन ने दी।

~शेखर पाठक 
'हरी भरी उम्मीद'
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मनुष्य के दिखावों ने
मनुष्यता को हरा दिया है
वरना जितनी तख़्तियों पर अब तक
पेड़ों को बचाने के लिए
नारे लिखे गये हैं
उतने पौधे लगे होते तो
सारा ब्रह्माण्ड हरा हो जाता।

-सुधीर आज़ाद
‘किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना’

विश्व वन दिवस

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार #वाणीपृथ्वी #विश्ववनदिवस

मनुष्य के दिखावों ने
मनुष्यता को हरा दिया है
वरना जितनी तख़्तियों पर अब तक
पेड़ों को बचाने के लिए
नारे लिखे गये हैं
उतने पौधे लगे होते तो
सारा ब्रह्माण्ड हरा हो जाता।

-सुधीर आज़ाद 
‘किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना’

विश्व वन दिवस
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जीवन, समय, संसार, सृष्टि, जीवन चक्र की कितनी बातें याद आ रही हैं। इस यात्रा के प्रयोजन-निमित्त पर भी सोचता हूँ। धीरे-धीरे नींद में यह सब भूल जाता हूँ। निद्रा, नहीं होती, तो जीवन एकरसा और उबाऊ ही होता न!

~हरिवंश
'सृष्टि का मुकुट : कैलास मानसरोवर'

Harivansh

#वाणीपृथ्वी

जीवन, समय, संसार, सृष्टि, जीवन चक्र की कितनी बातें याद आ रही हैं। इस यात्रा के प्रयोजन-निमित्त पर भी सोचता हूँ। धीरे-धीरे नींद में यह सब भूल जाता हूँ। निद्रा, नहीं होती, तो जीवन एकरसा और उबाऊ ही होता न!

~हरिवंश
'सृष्टि का मुकुट : कैलास मानसरोवर'

@harivansh1956
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