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अप्सरा स्वयं मुझे जिस-जिस ओर ले गयी, दीपक-पतंग की तरह मैं उसके साथ रहा। अपनी ही इच्छा से अपने मुक्त जीवन-प्रसंग का प्रांगण छोड़ प्रेम की सीमित, पर दृढ़ बाँहों में सुरक्षित, बँध रहना उसने पसन्द किया।
‘अप्सरा’ – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
पुस्तक खरीदने

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार
अप्सरा स्वयं मुझे जिस-जिस ओर ले गयी, दीपक-पतंग की तरह मैं उसके साथ रहा। अपनी ही इच्छा से अपने मुक्त जीवन-प्रसंग का प्रांगण छोड़ प्रेम की सीमित, पर दृढ़ बाँहों में सुरक्षित, बँध रहना उसने पसन्द किया।
‘अप्सरा’ – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
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वे रास्ते महान हैं
जो पत्थरों से भरे हैं
मगर जो हमें
सूरजमुखी के खेतों तक ले जाते हैं
एकान्त की कविता भी सूरजमुखी का फूल है। धूप, जल, रंग और गन्ध से भरी हुई।
‘सूरजमुखी के खेतों तक’ – एकान्त श्रीवास्तव
-अरुण कमल
पुस्तक खरीदने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक

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वे रास्ते महान हैं
जो पत्थरों से भरे हैं
मगर जो हमें
सूरजमुखी के खेतों तक ले जाते हैं
एकान्त की कविता भी सूरजमुखी का फूल है। धूप, जल, रंग और गन्ध से भरी हुई।
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-अरुण कमल
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‘डेड एंड’ - पद्मेश गुप्त

‘डेड एंड’ पद्मेश गुप्त की कहानियों का नवीनतम संग्रह है। मूल्यों के टकराव का सजीव चित्रण है पद्मेश गुप्त के लेखन में। 'तिरस्कार', 'डेड एंड', 'कब तक' मिली-जुली संस्कृति के टकराव को बख़ूबी चिह्नित करती हैं। पद्मेश जी रफ़्तार

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार 

‘डेड एंड’ - पद्मेश गुप्त 

‘डेड एंड’ पद्मेश गुप्त की कहानियों का नवीनतम संग्रह है। मूल्यों के टकराव का सजीव चित्रण है पद्मेश गुप्त के लेखन में। 'तिरस्कार', 'डेड एंड', 'कब तक' मिली-जुली संस्कृति के टकराव को बख़ूबी चिह्नित करती हैं। पद्मेश जी रफ़्तार
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‘आदिकालीन हिन्दी साहित्य अध्ययन की दिशाएँ’ – सम्पादक : अनिल राय

डॉ. अनिल राय ने आदिकालीन भाषा और साहित्य पर हुए अध्ययनों में से उसी सामग्री का चयन किया है जो किसी न किसी 'समस्या-क्षेत्र' का उद्घाटन करती है। यह सम्पादित पुस्तक डॉ. राय के परिश्रम और

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डॉ. अनिल राय ने आदिकालीन भाषा और साहित्य पर हुए अध्ययनों में से उसी सामग्री का चयन किया है जो किसी न किसी 'समस्या-क्षेत्र' का उद्घाटन करती है। यह सम्पादित पुस्तक डॉ. राय के परिश्रम और
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‘काली बर्फ़’ – मीरा कान्त

नाटक ‘काली बर्फ़’ अब नाट्य त्रयी कन्धे पर बैठा था शाप के साये से निकलकर अपनी अलग पहचान बना रहा है- यह निस्सन्देह प्रसन्नता का विषय है। इस नाटक के केन्द्र में आतंकवाद से उपजा विस्थापन और उसका दर्द है जो आज विश्व की एक विकराल

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार

‘काली बर्फ़’ – मीरा कान्त

नाटक  ‘काली बर्फ़’ अब नाट्य त्रयी कन्धे पर बैठा था शाप के साये से निकलकर अपनी अलग पहचान बना रहा है- यह निस्सन्देह प्रसन्नता का विषय है। इस नाटक के केन्द्र में आतंकवाद से उपजा विस्थापन और उसका दर्द है जो आज विश्व की एक विकराल
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वे दिन वे लोग : एक संस्मरण यात्रा – राधा भट्ट
यह पुस्तक एक ग्रामीण लड़की के सक्रियतापूर्वक 90 साल पार कर जाने और इन दशकों के सामाजिक आन्दोलनों की कहानी भी कहती जाती है। सरला बहन की शिष्या और गांधीवादी विरासत को सँवारने वाली राधा बहन की सक्रिय सामाजिकता

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वे दिन वे लोग : एक संस्मरण यात्रा – राधा भट्ट
यह पुस्तक एक ग्रामीण लड़की के सक्रियतापूर्वक 90 साल पार कर जाने और इन दशकों के सामाजिक आन्दोलनों की कहानी भी कहती जाती है। सरला बहन की शिष्या और गांधीवादी विरासत को सँवारने वाली राधा बहन की सक्रिय सामाजिकता
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‘अनहद’ – डॉ. मयंक मुरारी

जब व्यक्ति की सारी इच्छाएँ ख़त्म हो जायें, जब व्यक्ति को दुख-सुख में समानुभूति हो, जब व्यक्ति के अन्दर चिन्ता, ज्ञान, वासना रूपी हरेक बन्धन ख़त्म हो जाता है, तब वह आत्मिक रूप से स्वतन्त्र हो जाता है। यह स्वतन्त्रता ही आत्मा

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार

‘अनहद’ – डॉ. मयंक मुरारी

जब व्यक्ति की सारी इच्छाएँ ख़त्म हो जायें, जब व्यक्ति को दुख-सुख में समानुभूति हो, जब व्यक्ति के अन्दर चिन्ता, ज्ञान, वासना रूपी हरेक बन्धन ख़त्म हो जाता है, तब वह आत्मिक रूप से स्वतन्त्र हो जाता है। यह स्वतन्त्रता ही आत्मा
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स्त्री नहीं मरती
ना जीवन की वासना
वह उठाती है हर बार खरपात
पत्थर, कंकर चुनती है वह
शुरू करती है फिर एक काम

– सविता सिंह
‘वासना एक नदी का नाम है’

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार

स्त्री नहीं मरती 
ना जीवन की वासना 
वह उठाती है हर बार खरपात 
पत्थर, कंकर चुनती है वह 
शुरू करती है फिर एक काम

– सविता सिंह
‘वासना एक नदी का नाम है’ 

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‘एक शे'र अर्ज़ किया है : संकलन 200’

'एक शे'र अर्ज़ किया है' पिछले दो सौ हफ़्तों से, हर हफ़्ते पूरी दुनिया को नियमित रूप से एक उत्कृष्ट साहित्यिक, मनोरंजक और शायरी के ख़ुमार से शराबोर कर देने वाले कार्यक्रम देता रहा है। सौ कार्यक्रम पूरे होने के बाद

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‘एक शे'र अर्ज़ किया है : संकलन 200’ 

'एक शे'र अर्ज़ किया है' पिछले दो सौ हफ़्तों से, हर हफ़्ते पूरी दुनिया को नियमित रूप से एक उत्कृष्ट साहित्यिक, मनोरंजक और शायरी के ख़ुमार से शराबोर कर देने वाले कार्यक्रम देता रहा है। सौ कार्यक्रम पूरे होने के बाद
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मनुष्य के दिखावों ने
मनुष्यता को हरा दिया है
वरना जितनी तख़्तियों पर अब तक
पेड़ों को बचाने के लिए
नारे लिखे गये हैं
उतने पौधे लगे होते तो
सारा ब्रह्माण्ड हरा हो जाता।

-सुधीर आज़ाद
‘किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना’

विश्व वन दिवस

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार #वाणीपृथ्वी #विश्ववनदिवस

मनुष्य के दिखावों ने
मनुष्यता को हरा दिया है
वरना जितनी तख़्तियों पर अब तक
पेड़ों को बचाने के लिए
नारे लिखे गये हैं
उतने पौधे लगे होते तो
सारा ब्रह्माण्ड हरा हो जाता।

-सुधीर आज़ाद 
‘किसी मनुष्य का पेड़ हो जाना’

विश्व वन दिवस
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‘मेरे चर्चित गीत’ – सूरजपाल चौहान

'सूरजपाल चौहान की कविताएँ बहुत बड़ी कविताएँ हैं। कुछ गीत उन्होंने गाँवों और दलित समुदाय को लेकर लिखे हैं। कवि अपने समुदाय को एड्रेस कर रहा है और क्रिटिकल एड्रेस कर रहा है। वह एक सन्देश देता है।'

-प्रो. केदारनाथ

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार

‘मेरे चर्चित गीत’ – सूरजपाल चौहान 

'सूरजपाल चौहान की कविताएँ बहुत बड़ी कविताएँ हैं। कुछ गीत उन्होंने गाँवों और दलित समुदाय को लेकर लिखे हैं। कवि अपने समुदाय को एड्रेस कर रहा है और क्रिटिकल एड्रेस कर रहा है। वह एक सन्देश देता है।'

-प्रो. केदारनाथ
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‘जलता हुआ रथ’– स्वदेश दीपक

इतनी सारी भाषाएँ हैं उसके पास। फिर भी नहीं समझते एक-दूसरे की बात। ताक़त और हथियार सबसे पहले भाषा का ख़ून करते हैं। फिर इन्सान का।

Sukant Deepak

#नयीबहार

‘जलता हुआ रथ’– स्वदेश दीपक 

इतनी सारी भाषाएँ हैं उसके पास। फिर भी नहीं समझते एक-दूसरे की बात। ताक़त और हथियार सबसे पहले भाषा का ख़ून करते हैं। फिर इन्सान का।

@sukantdeepak
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